Shattila Ekadashi 2024: षटतिला एकादशी पूजा थाली में शामिल करें ये चीजें, भगवान विष्णु होंगे प्रसन्न
हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत किया जाता है। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार माघ माह में षटतिला एकादशी व्रत 6 फरवरी को है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है।
By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Sat, 03 Feb 2024 03:59 PM (IST)
Shattila Ekadashi 2024 Puja Samagri List: जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी को एकादशी तिथि प्रिय है। हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत किया जाता है। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार माघ माह में षटतिला एकादशी व्रत 6 फरवरी को है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि षटतिला एकादशी की पूजा में विशेष चीजों को शामिल करने से पूजा सफल होती है और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। चलिए जानते हैं षटतिला एकादशी की पूजा थाली में किन चीजों को शामिल करना उत्तम होता है।
षटतिला एकादशी पूजा सामग्री लिस्ट
- गंगाजल
- चौकी
- पीला कपड़ा
- आम के पत्ते
- कुमकुम
- फूल
- मिठाई
- अक्षत
- पंचमेवा
- धूप
- दीप
- फल
- भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा
षटतिला एकादशी डेट और शुभ मुहूर्त माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। दैनिक पंचांग के अनुसार, षटतिला एकादशी तिथि का आरंभ 5 फरवरी को शाम 5 बजकर 24 मिनट से होगा और इसके अगले दिन यानी 6 फरवरी को शाम 4 बजकर 7 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस बार षटतिला एकादशी व्रत 6 फरवरी को है।
षटतिला एकादशी पूजा विधि
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
- षटतिला एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद मंदिर की सफाई करें।
- अब चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
- भगवान विष्णु को चंदन और हल्दी, कुमकुम से तिलक करें और दीपक जलाकर आरती करें।
- अब भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप और विष्णु का चालीसा का पाठ करें।
- अब खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल को शामिल करें।
- इसके पश्चात लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'