Parivartini Ekadashi 2024: परिवर्तिनी एकादशी पर शोभन योग का हो रहा है निर्माण, प्राप्त होगा दोगुना फल
वैष्णव समाज के अनुयायी एकादशी के दिन (Parivartini Ekadashi 2024) जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। साथ ही एकादशी का व्रत रखते हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में मंगल का आगमन होता है। इस शुभ अवसर पर रवि योग का निर्माण हो रहा है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 26 Aug 2024 06:27 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Parivartini Ekadashi 2024: एकादशी पर्व भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा (Lord Vishnu Puja Vidhi) की जाती है। साथ ही उनके निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। धार्मिक मत है कि एकादशी व्रत करने से साधक को जन्म-जन्मांतर में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही मृत्यु उपरांत श्रीधाम की प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों की मानें तो भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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परिवर्तिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Parivartini Ekadashi Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि शनिवार 13 सितंबर को रात 10 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन रविवार 14 सितंबर को रात 08 बजकर 41 मिनट पर होगा। तिथि गणना से 14 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी है।
शोभन शुभ योग (Shobhan Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो परिवर्तिनी एकादशी पर दुर्लभ शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण 13 सितंबर को रात 08 बजकर 49 मिनट से हो रहा है। वहीं, इस योग का समापन 14 सितंबर को संध्याकाल 06 बजकर 18 मिनट पर होगा। ज्योतिष शोभन योग को शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। वहीं, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग दिन भर है। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होगी।पंचांग
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 06 मिनट परसूर्यास्त - शाम 06 बजकर 27 मिनट परचन्द्रोदय- शाम 04 बजकर 03 मिनट परचंद्रास्त- देर रात 02 बजकर 37 मिनट परब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 19 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 20 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 50 मिनट तकनिशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 53 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक
यह भी पढ़ें: इसलिए क्षीर सागर में निवास करते हैं भगवान श्री हरि विष्णु, जानिए इसके पीछे का रहस्यडिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'