Yogini Ekadashi 2024: त्रिपुष्कर योग समेत इन 6 संयोग में मनाई जाएगी योगिनी एकादशी, प्राप्त होगा कई गुना फल
सनात धर्म शास्त्रों में वर्णित है कि योगिनी एकादशी व्रत करने से साधक पर भगवान विष्णु की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही जीवन में सुख शांति और मंगल का आगमन होता है। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास रखते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 03 Jun 2024 05:20 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Yogini Ekadashi 2024: आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। यह पर्व भगवान विष्ण को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस वर्ष 02 जुलाई को योगिनी एकादशी मनाई जाएगी। धार्मिक मत है कि एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक द्वारा अनजाने में किए गए समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही व्रती को मनोवांछित फल की भी प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों की मानें तो योगिनी एकादशी तिथि पर दुर्लभ त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा, कई अन्य मंगलकारी योग भी बन रहे हैं। इन योग में जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी। आइए, शुभ योग जानते हैं-
ज्योतिषियों की मानें तो आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 01 जुलाई को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 02 जुलाई को सुबह 08 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, साधक 02 जुलाई को एकादशी व्रत रख सकते हैं। इसके अगले दिन 03 जुलाई को पारण का समय सुबह 05 बजकर 28 मिनट से लेकर 07 बजकर 10 मिनट तक है। इस दौरान साधक पूजा-पाठ कर व्रत खोल या तोड़ सकते हैं।
योग
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर धृति योग का निर्माण सुबह 11 बजकर 47 मिनट तक है। इस दिन दुर्लभ त्रिपुष्कर योग सुबह 08 बजकर 42 मिनट से प्रारंभ हो रहा है, जो अगले दिन यानी 03 जुलाई को सुबह 04 बजकर 40 मिनट तक है। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग 02 जुलाई को सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 03 जुलाई को सुबह 04 बजकर 40 मिनट तक है।शिववास योग
योगिनी एकादशी पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन भगवान शिव सुबह में 08 बजकर 42 मिनट तक कैलाश पर रहेंगे। इसके बाद नंदी पर सवार रहेंगे। इस दौरान भगवान शिव की पूजा और अभिषेक करने से साधक के सुख और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। साथ ही शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। इस दिन बालव, कौलव और तैतिल करण के भी योग बन रहे हैं। इनमें सबसे पहले बालव करण का निर्माण हो रहा है। इसके बाद कौलव करण का संयोग है। वहीं, निशा काल में तैतिल करण का योग बन रहा है।
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