Vijaya Ekadashi 2024: विजया एकादशी पूजा थाली में इन चीजों को करें शामिल, भगवान विष्णु होंगे प्रसन्न
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2024) के नाम से जाना जाता है। इस तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए साधक पूजा और व्रत करते हैं। मान्यता है कि विजया एकादशी की पूजा में विशेष चीजों को शामिल करने से पूजा का शुभ मिलता है और भगवान श्री हरि प्रसन्न होते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vijaya Ekadashi 2024: सनातन धर्म में सभी तिथियों में से एकादशी तिथि को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। हर महीने में दो एकादशी होती है। एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह तिथि फाल्गुन माह में 06 मार्च को है। इस विशेष अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत करने का विधान है। मान्यता है कि विजया एकादशी की पूजा में विशेष चीजों को शामिल करने से पूजा का शुभ मिलता है और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। आइए आपको इस लेख में हम आपको बताएंगे विजया एकादशी की पूजा थाली में किन चीजों को शामिल करना उत्तम होता है।
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विजया एकादशी पूजा सामग्री लिस्ट
- गंगाजल
- चौकी
- फूल
- मिठाई
- अक्षत
- पंचमेवा
- कुमकुम
- धूप
- दीप
- फल
- पीला कपड़ा
- आम के पत्ते
- भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा
- तुलसी दल
विजया एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। पंचांग के अनुसार, विजया एकादशी तिथि की शुरुआत 06 मार्च को सुबह 06 बजकर 30 मिनट से होगी और इसके अगले दिन 07 मार्च को सुबह 04 बजकर 13 मिनट पर तिथि समाप्त होगी। ऐसे में विजया एकादशी व्रत 06 फरवरी को रखा जाएगा।
विजया एकादशी का महत्व
विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। साथ ही व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को विजय की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है।पूजा के समय करें इस मंत्र का जाप एकादशी के दिन पूजा के समय भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए निम्न मंत्र का जाप करें। मान्यता है कि मंत्र के जाप से श्री हरि प्रसन्न होते हैं और सदैव साधक पर कृपा बनाए रखते हैं।
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।यह भी पढ़ें: Vijaya Ekadashi 2024: विजया एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें? यहां जानें
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