Indira Ekadashi 2024: आश्विन माह में कब है इंदिरा एकादशी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि
धार्मिक मत है कि इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2024) तिथि पर विधि-विधान से भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख समृ्द्धि एवं खुशहाली आती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में लक्ष्मी नारायण जी की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। साधक व्रत रख भक्ति भाव से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 11 Sep 2024 03:27 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2024) मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु संग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। गरुड़ पुराण में निहित है कि इंदिरा एकादशी व्रत करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस शुभ अवसर पर पितरों का तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। आइए, इंदिरा एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं पारण का समय जानते हैं-
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इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त (Indira Ekadashi Shubh Muhurat)
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि शनिवार 27 सितंबर को भारतीय समयानुसार दोपहर 01 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी और रविवार 28 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषियों की मानें तो 28 सितंबर को इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी। वहीं, साधक 29 सितंबर को सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 08 बजकर 36 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं।
पूजा विधि ( Indira Ekadashi Puja Vidhi)
साधक इंदिरा एकादशी के दिन प्रात:काल उठें। इस समय भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को ध्यान और प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें। इसके बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। अब चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इस समय पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पीले रंग के फल, फूल, हल्दी, केसर, खीर आदि चीजों को अर्पित करें। इस समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। पूजा का समापन 'ॐ जय जगदीश हरे' आरती से करें। दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। रात्रि के पहले प्रहर में जागरण कर भजन-कीर्तन करें। अगले दिन स्नान-ध्यान कर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। इसके बाद अन्न दान कर व्रत खोलें।यह भी पढ़ें: इसलिए क्षीर सागर में निवास करते हैं भगवान श्री हरि विष्णु, जानिए इसके पीछे का रहस्यअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।