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Yogini Ekadashi 2024: द्वादशी तिथि में करें योगिनी एकादशी व्रत का पारण, नोट करें समय

आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की उपासना की जाती है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि व्रत का पारण न करने से शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है। आइए जानते हैं योगिनी एकादशी व्रत पारण का समय।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Published: Tue, 02 Jul 2024 09:51 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2024 09:51 AM (IST)
Yogini Ekadashi 2024: जरूर करें एकादशी व्रत का पारण

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Yogini Ekadashi 2024 Vrat Parana Time: सनातन धर्म में सभी तिथियों में एकादशी तिथि को बेहद शुभ माना जाता है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर योगिनी एकादशी व्रत किया जाता है। वर्ष 2024 में यह व्रत आज यानी 02 जुलाई (Kab Hai Yogini Ekadashi 2024) को किया जा रहा है।

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योगिनी एकादशी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Yogini Ekadashi 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 01 जुलाई को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर हो गया है। वहीं, इसका समापन 02 जुलाई को सुबह 08 बजकर 42 मिनट पर हो गया है। सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। ऐसे में योगिनी एकादशी व्रत आज यानी 02 जुलाई को किया जा रहा है।

योगिनी एकादशी व्रत पारण का समय (Yogini Ekadashi Vrat Parana 2024)

योगिनी एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में करने का विधान है। व्रत का पारण 03 जुलाई को सुबह 05 बजकर 28 मिनट से लेकर 07 बजकर 10 मिनट के बीच में कर सकते हैं।

योगिनी एकादशी पर क्या दान करें? (Yogini Ekadashi Par Kya Daan Kren)

  • व्रत का पारण करने के बाद श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में दान जरूर करना चाहिए। आप दूध और दही का दान कर सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से इंसान के जीवन की सभी तरह की परेशानियों का अंत होता है।
  • इसके अलावा धन, अन्न और वस्त्र का भी दान कर सकते हैं। इससे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। साथ ही इंसान को जीवन में कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।

इन मंत्रों का करे जप

धन-समृद्धि मंत्र

  • ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
  • ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

विष्णु गायत्री मंत्र

  • ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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