Guru Gochar 2023: 31 दिसंबर को देवगुरु बृहस्पति होंगे मार्गी, इन 2 राशियों के घर बजेगी शहनाई
Guru Gochar 2023 गुरु के राशि परिवर्तन से राशि चक्र की सभी राशियों पर भाव अनुसार प्रभाव पड़ता है। सूर्य के साथ रहने पर देवगुरु बृहस्पति का प्रभाव क्षीण या शून्य हो जाता है। इस स्थिति में जातक को गुरु ग्रह का शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य के धनु और मीन राशि में गोचर करने के दौरान खरमास लगता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Guru Gochar 2023: ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति को विवाह का कारक माना जाता है। गुरु के राशि परिवर्तन से राशि चक्र की सभी राशियों पर भाव अनुसार प्रभाव पड़ता है। सूर्य के साथ रहने पर देवगुरु बृहस्पति का प्रभाव क्षीण या शून्य हो जाता है। इस स्थिति में जातक को गुरु ग्रह का शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य के धनु और मीन राशि में गोचर करने के दौरान खरमास लगता है। वर्तमान समय में देवगुरु बृहस्पति मेष राशि में विराजमान हैं और वक्री चाल चल रहे हैं। वहीं, 31 दिसंबर को देवगुरु बृहस्पति मार्गी होंगे। इससे 2 राशि के जातकों के रिश्ते तय हो सकते हैं। आइए, इन 2 राशियों के बारे में जानते हैं-
यह भी पढ़ें: इन 3 मंदिरों में हनुमान जी के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं सभी दुख और संताप
गुरु होंगे मार्गी
देवगुरु बृहस्पति 31 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 11 मिनट पर देवगुरु बृहस्पति मार्गी होंगे। इससे कई राशि के जातकों को लाभ प्राप्त होगा। वहीं, देवगुरु बृहस्पति 1 मई को मार्गी चाल चलकर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। इससे वृषभ राशि के जातकों को साल 2024 में विशेष लाभ प्राप्त होगा।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के स्वामी ग्रहों के राजकुमार हैं और आराध्य भगवान गणेश हैं। इस राशि के जातकों को गुरु के मार्गी होने से विशेष लाभ प्राप्त होगा। इस राशि के जातकों के लिए रिश्ता आ सकता है। साथ ही आने वाले समय में इस राशि के जातक परिणय सूत्र में बंध सकते हैं। मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु मिथुन राशि के जातक भगवान गणेश को मालपुए अर्पित करें।
तुला राशि
इस राशि के स्वामी शुक्र देव हैं आराध्या जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा हैं। इस राशि के जातकों को गुरु के मार्गी होने से लाभ प्राप्त होगा। इस राशि के जातकों के लिए भी विवाह के योग बन रहे हैं। ज्योतिषियों की मानें तो तुला राशि वालों को गुरु के वृषभ राशि में गोचर करने तक शुभ योग हैं।
यह भी पढ़ें: जानें, कब, कहां, कैसे और क्यों की जाती है पंचक्रोशी यात्रा और क्या है इसकी पौराणिक कथा?
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।