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Shani Gochar 2025: 29 मार्च को न्याय के देवता करेंगे राशि परिवर्तन, इन 3 राशियों को शनि बाधा से मिलेगी मुक्ति

ज्योतिषियों की मानें तो न्याय के देवता शनिदेव 29 मार्च 2025 को रात 09 बजकर 44 मिनट पर कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इस राशि में शनिदेव 03 जून 2027 तक रहेंगे। इसके बाद शनिदेव राशि परिवर्तन करेंगे। शनिदेव के राशि परिवर्तन से कुंभ राशि पर साढ़े साती का दूसरा चरण समाप्त हो जाएगा। वहीं मीन राशि पर दूसरा चरण प्रारंभ होगा।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Mon, 27 May 2024 02:27 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2024 02:27 PM (IST)
Shani Gochar 2025: 29 मार्च को न्याय के देवता करेंगे राशि परिवर्तन

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shani Gochar 2025: ज्योतिष शास्त्र में न्याय के देवता शनिदेव को मोक्ष प्रदाता भी कहा जाता है। वर्तमान समय में शनिदेव कुंभ राशि में विराजमान हैं। शनिदेव कुंभ और मकर राशि के स्वामी हैं। वहीं, तुला राशि में शनि उच्च के होते हैं। अतः तुला राशि के जातकों को हमेशा शुभ फल देते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो साल 2025 में शनिदेव राशि परिवर्तन करेंगे। इससे 3 राशि के जातकों को शनि की साढ़े साती और ढैय्या से मुक्ति मिलेगी। साथ ही कुंभ राशि के जातकों पर साढ़े साती का अंतिम चरण शुरू होगा। आइए, शनि गोचर के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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शनि गोचर

ज्योतिषियों की मानें तो न्याय के देवता शनिदेव 29 मार्च, 2025 को रात 09 बजकर 44 मिनट पर कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इस राशि में शनिदेव 03 जून, 2027 तक रहेंगे। इसके बाद शनिदेव राशि परिवर्तन करेंगे। शनिदेव के राशि परिवर्तन से कुंभ राशि पर साढ़े साती का दूसरा चरण समाप्त हो जाएगा। वहीं, मीन राशि पर दूसरा चरण प्रारंभ होगा।

मकर राशि

शनिदेव के राशि परिवर्तन से मकर राशि के जातकों को शनि की साढ़े साती से मुक्ति मिलेगी। इस राशि के जातकों पर साढ़े साती का अंतिम चरण चल रहा है। 29 मार्च, 2025 को मकर राशि के जातकों को साढ़े साती से मुक्ति मिल जाएगी। हालांकि, मकर राशि के स्वामी शनिदेव हैं। इसके बावजूद मकर राशि के जातकों को साढ़े साती के दौरान विषम दौर से गुजरना पड़ा है। कई जातकों को शनिदेव की कृपा से लाभ भी प्राप्त हुआ है।

शनि की ढैय्या

वर्तमान समय में शनिदेव के कुंभ राशि में गोचर के चलते कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों पर शनि की ढैय्या चल रही है। शनिदेव के राशि परिवर्तन से दोनों राशि के जातकों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी। देवताओं के गुरु बृहस्पति देव इस समय वृषभ राशि में विराजमान हैं। देवगुरु बृहस्पति कर्क राशि में उच्च के होते हैं। अतः गुरु गोचर के चलते कर्क राशि के जातकों को लाभ प्राप्त हो रहा है। वहीं, गुरु के राशि परिवर्तन से वृश्चिक राशि के जातकों के लिए मिलाजुला समय है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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