Chandra Grahan 2024: भाद्रपद पूर्णिमा पर लगेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, इन राशियों को रहना होगा बेहद सावधान
सनातन शास्त्रों में निहित है कि अमृत पान के दौरान सूर्य और चंद्र देव (Chandra Grahan 2024) ने स्वरभानु को पहचान लिया । यह जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी। स्वरभानु ने तब तक अमृत पान कर लिया था। यह देख भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाकर स्वरभानु का वध कर दिया। उस समय से स्वरभानु सूर्य एवं चंद्र देव को अपना शत्रु मानते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 08 Sep 2024 08:57 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 18 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन वर्ष का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2024) लगने वाला है। सनातन शास्त्रों की मानें तो ग्रहण के दौरान मायावी ग्रह राहु और केतु का प्रकोप पृथ्वी पर बढ़ जाता है। इससे व्यक्ति विशेष के मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है। अतः ग्रहण के दौरान खानपान से परहेज करना चाहिए। इसके साथ ही शुभ कार्य भी नहीं करना चाहिए। ज्योतिषियों की मानें तो चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, लेकिन राशि चक्र की सभी राशियों पर ग्रहण का प्रभाव देखने को मिल सकता है। इनमें 3 राशि के जातकों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। आइए जानते हैं-
यह भी पढ़ें: अक्टूबर महीने में कब लगेगा सूर्य ग्रहण? नोट करें सही समय एवं सूतक काल
कर्क राशि
कर्क राशि के स्वामी चंद्र देव हैं और आराध्य भगवान शिव हैं। राहु और केतु चंद्र देव को अपना शत्रु मानते हैं। अतः ग्रहण के दौरान कर्क राशि के जातकों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य न करें। तामसिक भोजन का सेवन न करें। किसी का दिल न दुखाएं। राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए भगवान शिव के नामों का मंत्र जप करें।
सिंह राशि
सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव हैं और आराध्य भगवान विष्णु हैं। अतः सिंह राशि के जातकों को सावधान रहने की आवश्यकता है। वाद-विवाद से दूर रहें। गाड़ी सावधानी से चलाएं। मन में किसी के प्रति द्वेष की भावना न रखें। बड़ों की सेवा करें। भाद्रपद पूर्णिमा तिथि पर शुभ कार्य करने से बचें। ग्रहण के बाद स्नान-ध्यान के बाद सत्यनारायण भगवान की पूजा करें। वहीं, पूजा समाप्त होने के बाद दान-पुण्य अवश्य करें।कन्या राशि
वर्तमान समय में मायावी ग्रह केतु कन्या राशि में विराजमान हैं। इस राशि में केतु ग्रह अगले साल 18 मई तक रहेंगे। इससे पूर्व 17 सितंबर को आत्मा के कारक सूर्य देव भी कन्या राशि में गोचर करेंगे। इसके अगले दिन ही ग्रहण है। सूर्य और राहु-केतु के मध्य शत्रुवत संबंध है। इसके लिए कन्या राशि के जातकों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है। कोई भी शुभ कार्य न करें। किसी को उधार न दें। लंबी यात्रा करने से बचें। इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
यह भी पढ़ें: अक्टूबर महीने में कब है आश्विन अमावस्या? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।