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आज भी गुनगुनाता है वंशीवट का वटवृक्ष

चार पहर वंशीवट भटको सांझ परे घर आयौ। जी हां यह वंशीवट स्थान वही है जो भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में अपनी माता यशोदा माता से कहा था। इसी स्थान पर रास बिहारी ने तरह-तरह की लीलाएं कीं

By Edited By: Updated: Sat, 05 Jan 2013 02:48 PM (IST)

मथुरा। चार पहर वंशीवट भटको सांझ परे घर आयौ।

जी हां यह वंशीवट स्थान वही है जो भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में अपनी माता यशोदा माता से कहा था। इसी स्थान पर रास बिहारी ने तरह-तरह की लीलाएं कीं। तहसील मांट मुख्यालय से एक किमी दूर यमुना किनारे यह स्थान है यहां पर कन्हैया नित्य गाय चराने जाते थे। बेणुवादन, दावानल का पान, प्रलम्बासुर का वध तथा नित्य रासलीला करने का साक्षी रहा इस वट का नाम वंशीवट इसलिये पड़ा कि इसकी शाखाओं पर बैठकर श्री कृष्ण वंशी बजाते थे और गोपियों को रिझाते थे। वंशीवट नामक इस वटवृक्ष से आज भी कान लगाकर सुनें तो ढोल मृदंग, राधे-राधे की आवाज सुनायी देती है।

इसकी छांव में बैठकर भजन करने से मनोकामना पूरी होती है इसी स्थान पर सैकड़ों साधु तपस्या में लीन रहते हैं। वंशीवट स्थान के महंत जयराम दास महाराज इस स्थान के जीर्णोद्धार के लिये रात दिन एक किये हुये हैं। परन्तु शासन प्रशासन ने इस पौराणिक धरोहर को संजोने के लिये कोई कदम नहीं उठाया।

वृंदावन के मदन मोहन मंदिर की बदलेगी सूरत-दरकती दीवारें, बैठती छत और धंसे फर्श मदन मोहन मंदिर वृन्दावन की शोभा बिगाड़ रहे हैं। उखड़े पत्थर भी मंदिर के जीर्ण होने की गवाही दे रहे हैं। पुरातत्व विभाग ने मंदिर को अब आकर्षक बनाने का फैसला लिया है।

मदन मोहन मंदिर वृन्दावन ऐतिहासिक महत्व का मंदिर माना जाता है। बावजूद इसके यह मंदिर पिछले क छ वर्ष में मरम्मत के अभाव में क्षतिग्रस्त हो गया है। मंदिर की दीवारें जहां दरकती नजर आ रही हैं। वहीं मंदिर की छत और फर्श भी मरम्मत के अभाव में नीचे बैठ रही हैं। इसके कारण यहां पर आने वाले श्रद्धालु हर कुछ कदमों पर ठोकर खाते थे। यहां पर कुछ समय पूर्व मंदिर में मरम्मत का हल्का-फुल्का कार्य कराया गया।

बावजूद इसके यहां कराया गया यह कार्य ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुआ। इसका बहुत असर न हुआ तो मंदिर का दृश्य बदल न सका। ऐसे में मंदिर के जर्जर स्वरुप का असर यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पर पड़ता हुआ नजर आया।

यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में पिछले कुछ समय में लगातार कमी आती दिखी। अब इस मंदिर की बदहाली को देख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) ने इसे संवारने का कार्य शुरू कराने की तैयारी की है। इसके तहत जनवरी माह में ही मंदिर में मरम्मत का कार्य शुरू कराया जाना है। एएसआइ के इंजीनियर एमसी शर्मा के मुताबिक टैंडर के बाद जल्द ही मंदिर के कायाकल्प की प्रक्त्रिया शुरू कर दी जाएगी।

राधा कृष्ण की लीलाओं का रहा है साक्षी

यहां आने वालों की होती है मनोकामना पूर्ण

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