India Famous Temples: ये हैं भारत के 5 प्रसिद्ध मंदिर, जहां देव दर्शन के लिए पुरुषों को पहननी पड़ती है धोती
India Temple Dress Code मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर देवों के देव महादेव को समर्पित है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योतिर्लिंग स्थापित है। महाकालेश्वर मंदिर में शिवरात्रि के अवसर पर मेला लगता है। मंदिर में की जाने वाली भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु भस्म आरती में शामिल होने के लिए देश और दुनिया से उज्जैन आते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 13 Jun 2024 09:38 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। India Famous Temples History: सनातन धर्म में ईश्वर प्राप्ति के लिए पूजा और साधना की जाती है। भक्ति मार्ग पर चलकर साधक उच्च लोक में स्थान प्राप्त करता है। चिरकाल से साधक ईश्वर की पूजा, जप-तप और साधना करते हैं। सनातन शास्त्रों में निहित है कि आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार भक्ति के जरिए होता है। अतः साधु संत और ऋषि-मुनि ईश्वर प्राप्ति हेतु कठिन तप करते हैं। वहीं, सामान्यजन इच्छा पूर्ति हेतु ईश्वर भक्ति करते हैं। परम पिता परमेश्वर बड़े ही दयालु एवं कृपालु महज भक्ति भाव से प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी कृपा से साधक के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। इष्ट देव की कृपा पाने और समस्त पापों से मुक्ति पाने के लिए तीर्थयात्रा भी करते हैं। भारतवर्ष में कई प्रमुख तीर्थस्थल हैं। इनमें केदारनाथ, बद्रीनाथ, महाकाल, तिरुपति बालाजी, कामाख्या मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर, सोमनाथ मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, इस्कॉन, काली मंदिर आदि प्रमुख हैं। इनमें 5 ऐसे मंदिर हैं, जहां देव दर्शन के लिए पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहननी पड़ती है। आइए, इन 5 मंदिर के बारे में जानते हैं-
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पद्मनाभस्वामी मंदिर (Sree Padmanabhaswamy Temple)
पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में स्थित है। यह मंदिर जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है, जो शेषनाग पर शयन मुद्रा में हैं। देश-दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु देव दर्शन के लिए पद्मनाभस्वामी मंदिर आते हैं। पद्मनाभस्वामी मंदिर वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है। इस मंदिर का निर्माण राजा मार्तण्ड ने कराया है। मंदिर परिसर में ही 'पद्मतीर्थ कुलम' सरोवर है। इस मंदिर में देव दर्शन के लिए ड्रेस कोड निर्धारित है। पद्मनाभस्वामी मंदिर में देव दर्शन के लिए पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहननी पड़ती है। मंदिर में देव दर्शन के लिए ड्रेस कोड अनिवार्य है। अनदेखी करने वाले श्रद्धालु को मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश की मनाही है।
महाकाल मंदिर (Mahakal Temple)
मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर देवों के देव महादेव को समर्पित है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योतिर्लिंग स्थापित है। महाकालेश्वर मंदिर में शिवरात्रि के अवसर पर मेला लगता है। मंदिर में की जाने वाली भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु भस्म आरती में शामिल या उपस्थित होने के लिए देश और दुनिया से उज्जैन आते हैं। इस अवसर पर श्रद्धालु शिवलिंग रूप में महादेव के दर्शन करते हैं। इस आरती में शामिल होने के लिए ड्रेस कोड अनिवार्य है। इसमें पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहनना अनिवार्य है। श्रद्धालु को बिना ड्रेस कोड के आरती में शामिल होने की अनुमति नहीं है। अतः साधक महादेव के दर्शन के लिए ड्रेस कोड का पालन करते हैं।घृष्णेश्वर मंदिर Grishneshwar Mahadev Temple
यह मंदिर महाराष्ट्र के दौलताबाद में स्थित है। दौलताबाद से घृष्णेश्वर मंदिर की दूरी 10 किलोमीटर है। इस मंदिर में भी भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योतिर्लिंग है। हालांकि, यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। घृष्णेश्वर मंदिर का निर्माण अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था। घृष्णेश्वर स्थित ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा जाता है कि इस स्थान पर सुधर्मा नामक एक ब्राह्मण रहता था, जिनकी कोई संतान नहीं थी। ब्राह्मण दंपति भगवान शिव के भक्त थे। रोजाना शिव जी की पूजा करते थे।
एक ज्योतिष ने कुंडली देखकर यह जानकारी दी कि ब्राह्मण सुधर्मा की पत्नी सुदेहा मां नहीं बन सकती हैं। इसके बाद ब्राह्मण सुधर्मा ने संतान प्राप्ति के लिए घुश्मा से शादी की। घुश्मा भगवान शिव की भक्त थीं। उन्होंने भक्ति कर भगवान शिव को प्रसन्न किया। उनकी कृपा से घुश्मा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। हालांकि, कालांतर में सुदेहा को घुश्मा के पुत्र से विरक्ति हो गई। एक दिन सुदेहा ने मौका पाकर घुश्मा के पुत्र का वध कर तालाब में डाल दिया।
घुश्मा रोजाना मिट्टी के शिवलिंग बनाकर पूजा करती थीं और पूजा संपन्न होने के बाद शिवलिंग को तालाब में प्रवाहित कर देती थीं। उस दिन तालाब से उसका पुत्र बाहर निकला। घुश्मा की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कहा- घुश्मा! मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूं, तुम्हारे पुत्र का वध कर दिया गया था, लेकिन तुम्हारे पुण्य-प्रताप से वह जीवित हो गया है। वर मांगो! घुश्मा !उस समय घुश्मा ने भगवान शिव से सदैव उस स्थान पर विराजने का वरदान माँगा। भगवान शिव तथास्तु! कहकर अंतर्ध्यान हो गए। कहते हैं कि इसी स्थान पर भगवान शिव ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए। कालांतर से भगवान शिव को घृष्णेश्वर रूप में पूजा की जाती है। इस मंदिर में भी ड्रेस कोड अनिवार्य है। पुरुषों को देव दर्शन के लिए धोती पहनना अनिवार्य है।