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Amarnath Yatra 2024: भगवान शिव ने अमरनाथ गुफा में जाने से पहले इन चीजों को दिया था त्याग

हिंदुओं के लिए पवित्र तीर्थस्थल है अमरनाथ धाम। यहां हर साल अधिक संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार अमरनाथ धाम (Amarnath Yatra 2024) में शिव विराजमान हैं जिनके दर्शन करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। अमरनाथ गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ से शिवलिंग बनता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 20 Apr 2024 01:18 PM (IST)
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Amarnath Yatra 2024: भगवान शिव ने अमरनाथ गुफा में जाने से पहले इन चीजों को दिया था त्याग?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Amarnath Yatra 2024: हिंदुओं का सबसे पवित्र मंदिरों में से अमरनाथ मंदिर एक माना गया है। हर साल अधिक संख्या में श्रद्धालु अमरनाथ मंदिर में बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए आते हैं। इस बार बाबा अमरनाथ की यात्रा 29 जून से शुरू होगी और जिसका समापन 19 अगस्त को होगा। अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं में अधिक उत्साह देखने को मिलता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अमरनाथ धाम में शिव विराजमान हैं, जिनके दर्शन करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है।

अमरनाथ गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ से शिवलिंग बनता है। जिसे अमरेश्वर और बाबा बर्फानी के नाम से भी जाना जाता है। अमरनाथ धर्म तक श्रद्धालुओं को लंबी यात्रा और चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।

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मान्यता है कि एक बार मां पार्वती ने महादेव से उनकी अमरता का रहस्य पूछा, तो महादेव ने उनकी बात को मानकर कथा सुनाई। इससे पहले भगवान शिव ने अमरनाथ गुफा में जाने से पहले कई चीजों का त्याग दिया, जिसके बाद महादेव ने मां पार्वती को कथा सुनाई। चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं भगवान शिव ने अमरनाथ गुफा में जाने से पूर्व किन चीजों को त्याग दिया था।  

इन चीजों को दिया था त्याग

पौराणिक कथा के अनुसार, देवों के देव महादेव ने सर्वप्रथम नंदी का त्याग किया। माना जाता है कि जिस जगह पर प्रभु ने नंदी का त्याग किया था। उस स्थल का नाम पहलगांव पड़ा। इसके बाद उन्होंने चंद्रमा का त्याग किया। इस जगह का नाम चंदनवाड़ी पड़ा। इसके पश्चात उन्होंने सर्प का त्याग किया और वहां का नाम शेषनाग पड़ा। अंत में भगवान शिव ने जटाओं में मां गंगा का त्याग किया और उस स्थल को पंचतरणी के नाम जाना गया।

ऐसा बताया जाता है कि भगवान शिव ने अमरनाथ गुफा में जाने पहले से गणपति बप्पा को महागुण पर्वत पर विराजमान किया और उन्हें जिम्मेदारी दी गई कि कथा के दौरान कोई भी गुफा में अंदर न आ सके। आज के समय में भी अमरनाथ यात्रा के वक्त इन पवित्र जगहों के दर्शन होते हैं।  

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