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Amarnath Yatra 2024: सबसे पहले किसने प्राप्त किया था बाबा बर्फानी के दर्शन का सौभाग्य?

अमरनाथ गुफा में प्राकृतिक रूप से शिवलिंग बनता है जिसके दर्शन के लिए लोग कठिन यात्रा कर यहां पहुंचते हैं। माना जाता है कि अमरनाथ यात्रा से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। अमरनाथ गुफा (Amarnath temple Yatra) में मौजूद शिवलिंग के दर्शन सबसे पहले किसने किए थे इसे लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 19 Apr 2024 03:21 PM (IST)
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Amarnath Yatra 2024 सबसे पहले किसने किए थे बाबा बर्फानी के दर्शन?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Amarnath Yatra 2024 Date: हिंदू धर्म में अमरनाथ यात्रा को बेहद ही पुण्यकारी माना गया है। शिव भक्त इस यात्रा का पूरे साल बड़े ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। ऐसे में जल्द ही शिवभक्त बाबा बर्फानी के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त कर सकेंगे। 29 जून से अमरनाथ की यात्रा शुरू हो रही है, जिसका समापन 19 अगस्त यानी  रक्षाबंधन पर होगा। ऐसे में आइए जानते हैं कि अमरनाथ की गुफा में बर्फ के शिवलिंग के दर्शन का सौभाग्य सर्वप्रथम किसने प्राप्त किया था।

अमरनाथ यात्रा का महत्व (Importance of Amarnath Yatra)

हिंदू शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि, इसी स्थान पर भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा अमरनाथ के दर्शन करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में वह मोक्ष का भागी बनता है। साथ ही इस यह भी मान्यता है कि पवित्र धाम की यात्रा से 23 तीर्थों के दर्शन करने के बराबर पुण्य मिलता है। इस गुफा की एक और खास बात यह है कि यहां पर अमरनाथ शिवलिंग की ऊंचाई चंद्रमा के चरणों के आधार पर घटती-बढ़ती रहती है।

इन्होंने किए थे पहले दर्शन

पौराणिक कथा के अनुसार, सर्वप्रथम अमरनाथ गुफा के दर्शन महर्षि भृगु द्वारा किए गए थे। जिसके पीछे यह कथा मिलती है कि एक बार कश्मीर घाटी पूरी तरह से पानी में डूब गई। तब महर्षि कश्यप ने नदियों और नालों के माध्यम से पानी को बाहर निकाला। जिस दौरान घाटी में पानी बाहर निकाला जा रहा था, उसी दौरान महर्षि भृगु तपस्या के लिए एकांतवास की खोज कर रहे थे। खोज करते-करते वह अमरनाथ गुफा में पहुंच गए, जहां उन्हें बाबा अमरनाथ के दर्शन हुए।

अन्य कथा

अन्य कथा के अनुसार, अमरनाथ गुफा के दर्शन सबसे पहले बूटा मलिक नाम के चरवाहे ने किए थे। माना जाता है कि 15वीं शताब्दी में बूटा मलिक को एक संत ने कोयले से भरा एक थैला दिया। जब वह चरवाहा थैले को वापिस लौटाने गया, तो उसमें कोयले की जगह सोने के सिक्के निकले। यह देखकर वह चकित रह गया। बूटा मलिक संत को धन्यवाद करने के लिए जब उसी स्थान पर पहुंचा, जहां उन्हें वह थैला मिला था, तो उसे वहां कोई संत नहीं मिला। बल्कि उस जगह पर एक गुफा मिली, जिसमें बर्फ के शिवलिंग विराजमान थे। कहते हैं कि तभी से अमरनाथ की यात्रा शुरू हुई।

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