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वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में वर्ष में एक बार ही क्यों होती है मंगला आरती? वजह है बेहद दिलचस्प

धार्मिक मान्यता के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कान्हा जी का अवतरण हुआ था। इसलिए इस दिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती ( Vrindavan Banke Bihari Mangla Aarti 2024) का आयोजन किया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं मंगला आरती से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 25 Aug 2024 02:46 PM (IST)
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Mangla Aarti: बेहद दिलचस्प है मंगला आरती का रहस्य
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vrindavan Mangla Aarti 2024: सनातन धर्म में जन्माष्टमी के पर्व को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लड्डू गोपाल का विधिपूर्वक अभिषेक किया जाता है और प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस अवसर पर मथुरा और वृंदावन समेत सभी कृष्ण मंदिरों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वहीं, वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती के लिए विशेष तैयारियां की जाती हैं। क्या आप जानते हैं कि बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी पर ही मंगला आरती (Banke Bihari Aarti 2024) क्यों की जाती है। अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसके रहस्य के बारे में।

बांके बिहारी मंदिर जन्माष्टमी शेड्यूल (Janmashtami Banke Bihari Temple Schedule)

देशभर में जन्माष्टमी का पर्व  26 अगस्त को मनाया जाएगा। वहीं, वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी का त्योहार अगले दिन यानी 27 अगस्त को मनाया जाएगा। बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती (Mangla Aarti 2024 Time) 28 अगस्त की रात्रि को 01 बजकर 45 मिनट पर होगी।

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ये है वजह

वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर मंगला आरती (Mangla Aarti 2024 Significance) का आयोजन किया जाता है। इस उत्सव में अधिक संख्या में देश-विदेश के श्रद्धालु शामिल होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ठाकुर बांके बिहारी शयन आरती होने के बाद निधिवन में गोपियों के संग रास रचाने के लिए जाते हैं। इसके पश्चात ठाकुर जी मंदिर पहुंचते हैं। रास रचाने की वजह से वह थक जाते हैं। इसलिए उन्हें जल्दी नहीं उठाया जाता। वहीं, दूसरे मंदिरों में सूर्य निकलने से पहले ही मंगला आरती की जाती है। मान्यता के अनुसार, जन्माष्टमी के दिन ठाकुर जी गोपियों के संग रास नहीं रचाते हैं। जन्माष्टमी के दिन कान्हा जी का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर लड्डू गोपाल का विधिपूर्वक महाभिषेक किया जाता है। साथ ही भोग अर्पित किए जाते हैं। इसी वजह से बांके बिहारी में मंदिर में वर्ष में एक बार ही यानी जन्माष्टमी पर मंगला आरती की जाती है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।