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Banke Bihari साल में एक बार ही क्यों धारण करते हैं बंसी? श्रद्धालु दर्शन कर होते हैं निहाल

पंचांग के अनुसार आश्विन माह में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर (Sharad Purnima 2024 Date) को मनाया जाएगा। शरद पूर्णिमा के दिन का कृष्ण भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं क्योंकि इस दिन बांके बिहारी (Banke Bihari Temple) महारास मुद्रा में दर्शन देते हैं। आइए इस लेख में हम आपको बताएंगे क्या है इसकी मान्यता है और वजह के बारे में।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 13 Oct 2024 03:34 PM (IST)
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शरद पूर्णिमा के दिन होता है अद्भुत दृश्य

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने में पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर गंगा स्नान और दान करने का विधान है। साथ ही जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए पूजा, जप-तप और दान किया जाता है। वहीं, साधक विशेष कार्य में सफलता प्राप्ति के लिए पूर्णिमा तिथि का विधिपूर्वक व्रत करते हैं। आश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा (Kab Hai Sharad Purnima 2024) के नाम से जाना जाता है। इस खास अवसर पर देशभर के मंदिरों में खास उत्साह देखने को मिलता है। वहीं, उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर में अधिक संख्या में श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन के लिए पहुँचते हैं, क्योंकि शरद पूर्णिमा के दिन बांके बिहारी (Banke Bihari Temple) भक्तों को वर्ष में एक बार ही बंसी धारण कर दर्शन देते हैं। इस दिन मंदिर में अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। चलिए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी बांके बिहारी के रोचक तथ्यों के बारे में।  

बांके बिहारी इस तरह देते हैं दर्शन

हर साल शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर रात में चंद्रमा की धवल चांदनी के प्रकाश में श्रद्धालुओं को बांके बिहारी बंसी बजाते हुए दर्शन देते हैं। इस दौरान प्रभु महारास की मुद्रा में होते हैं। सालभर में शरद पूर्णिमा के दिन ही बांके बिहारी बंसी धारण कर दर्शन देते हैं। इस दौरान मंदिर में खास रौनक देखने को मिलती है।

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क्या है मान्यता

धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसी वजह से भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात्रि को वंशीवट पर गोपियों के संग महारास किया था। ऐसा माना जाता है कि तभी से इस परंपरा की शुरुआत हुई और शरद पूर्णिमा की रात को बांके बिहारी (Banke Bihari Temple Significance) को चंद्रमा की रोशनी में विराजमान किया जाता है। साथ ही उन्हें खीर समेत आदि चीजों का भोग अर्पित किया जाता है।  

होता है विशेष श्रृंगार

इस दिन ठाकुर जी कटि-काछनी, मोर मुकुट और सोलह श्रृंगार में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।  

बांके बिहारी मंदिर टाइमिंग

शरद पूर्णिमा के दिन बांके बिहारी मंदिर सुबह 07 बजकर 30 मिनट पर खुलेगा और दोपहर में मंदिर 01 बजे बंद होगा। वहीं, शाम को 05 बजकर 30 मिनट से लेकर 10 बजकर 30 मिनट तक भक्त बांके बिहारी के दर्शन कर सकते हैं।  

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 अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।