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Banke Bihari Temple: क्यों लगाया जाता है बांके बिहारी मंदिर में बार-बार पर्दा? जाने इसका रहस्य

देश-विदेश में मथुरा के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी जी का मंदिर बेहद प्रसिद्ध है। प्रत्येक साल इस मंदिर में श्रद्धालु अधिक संख्या में बांके बिहारी जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। बांके बिहारी जी के दर्शन सदैव श्रद्धालुओं को टुकड़ों में कराए जाते हैं।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Sat, 27 Jan 2024 11:02 AM (IST)
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Banke Bihari Temple: क्यों लगाया जाता है बांके बिहारी मंदिर में बार-बार पर्दा? जाने इसका रहस्य
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Banke Bihari Mandir: देश-विदेश में मथुरा के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी जी का मंदिर बेहद प्रसिद्ध है। इस मंदिर में श्रद्धालु अधिक संख्या में बांके बिहारी जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। अगर आपने कभी ध्यान दिया होगा कि बांके बिहारी जी के दर्शन सदैव श्रद्धालुओं को टुकड़ों में कराए जाते हैं। बांके बिहारी जी के आगे बार-बार पर्दा डाला जाता है। इसकी वजह यह है कि श्रद्धालु बांके बिहारी जी को अधिक देर तक देख न सकें। आखिर ऐसा क्यों किया जाता है? चलिए जानते हैं बांके बिहारी जी के आगे बार-बार पर्दा डालने का क्या रहस्य है।

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बांके बिहारी मंदिर में पर्दा लगाने का रहस्य

एक कथा के अनुसार, बांके बिहारी मंदिर में 400 वर्ष पहले तक पर्दा नहीं डाला जाता था। श्रद्धालु जितनी देर चाहे उतनी देर तक बांके बिहारी जी दर्शन कर सकते थे। एक बार एक साधक बांके बिहारी जी के दर्शन करने के लिए मंदिर आया। तब वह अधिक देर तक बहुत प्रेम से मन लगाकर बांके बिहारी जी के दर्शन करने लगा।

उस दौरान भगवान साधक के प्रेम से खुश होकर उनके साथ ही चलने लगे। जब यह दृश्य पंडित जी ने देखा तो मंदिर में बांके बिहारी जी की मूर्ति नहीं है। तो उन्होंने भगवान से वापस मंदिर में चलने के लिए विनती की। तभी से हर 2 मिनट के गैप पर बांके बिहारी जी के सामने पर्दा डालने की परंपरा शुरू हुई।

बांके बिहारी मंदिर के अन्य रहस्य

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बांके बिहारी मंदिर के ऐसे कई अनेक रहस्य हैं। जैसे कि वर्ष में केवल एक दिन एक दिन मंगला आरती होना, वर्ष में सिर्फ एक बार भवगान बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन होना। इसके अलावा साल में केवल एक बार बंसी और मुकुट धारण करना। मान्यता के अनुसार, साधक जो बांके बिहारी जी से मनोकामनाएं मांगते है। वह पूरी होती हैं।

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'