Brahma Pushkar Temple: आखिर क्यों है पूरे भारत में ब्रह्मा जी का एक ही मंदिर, पढ़ें यह पौराणिक कथा
Brahma Pushkar Temple हिंदू धर्म में ब्रह्मा विष्णु और महेश का महत्व बहुत ज्यादा है। जहां विष्णु जी संसार के पालनहार महेश संहारक और ब्रह्मा इस संसार के रचनाकार हैं। यह तो हम सभी यह जानते हैं कि विष्णु जी और शिव जी के भारत में कई मंदिर स्थित हैं।
By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Sun, 06 Dec 2020 01:08 PM (IST)
Brahma Pushkar Temple: हिंदू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का महत्व बहुत ज्यादा है। जहां विष्णु जी संसार के पालनहार, महेश संसार के संहारक और ब्रह्मा इस संसार के रचनाकार हैं। यह तो हम सभी यह जानते हैं कि विष्णु जी और शिव जी के भारत और भारत से बाहर भी कई मंदिर स्थित हैं। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि ब्रह्मा जी का भारत में केवल एक ही मंदिर है। ब्रह्मा जी का भारत में एक ही मंदिर होने के पीछे एक कथा प्रचलित है। तो आइए पढ़ते हैं यह कथा-
पद्म पुराण के अनुसार, एक बार धरती पर वज्रनाश नामक राक्षस ने उत्पात मचा रखा था। उसके अत्याचार इतने बढ़ गए थे कि ब्रह्मा जी को तंग आकर उसका वध करना पड़ा। जब वो उसका वध कर रहे थे तब ब्रह्मा जी के हाथों से तीन जगहों पर कमल का पुष्प गिरा। जहां-जहां तीन कमल गिरे वहां पर तीन झीलें बन गईं। इसके बाद इस स्थान का नाम पुष्कर पड़ा। फिर संसार की भलाई के लिए ब्रह्मा जी ने यहीं पर यज्ञ करने का फैसला किया।
यज्ञ करने के लिए ब्रह्मा जी पुष्कर पहुंच गए। लेकिन यहां पर उनकी पत्नी सावित्री जी समय पर नहीं पहुंच पाईं। इस यज्ञ को पूरा करने के लिए सावित्री का होना बेहद जरूरी था। ऐसे में जब सावित्री नहीं आईं तो उन्होंने गुर्जर समुदाय की एक कन्या गायत्रीसे विवाह कर लिया। इसके बाद विवाह शुरू कर दिया गया। इतने में ही देवी सावित्री भी वहां पहुंच गए। जब उन्होंने गायत्री को ब्रह्मा के बगल में बैठा देखा तो वह क्रोधित हो गईं।
सावित्री जी ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि वो एक देवता जरूर हैं लेकिन आपकी पूजा फिर भी कभी नहीं की जाएगी। यह सुन सभी लोग अचंभित रह गए। सभी ने विनती की कि वो इस शाप को वापस ले ले। लेकिन उन्होंने नहीं लिया। जब उनका गुस्सा ठंडा हुआ तो सावित्री ने कहा कि इस धरती पर सिर्फ पुष्कर में आपकी पूजा होगी। अगर कोई दूसरा व्यक्ति आपका मंदिर बनाएगा तो उस मंदिर का विनाश हो जाएगा। इस काम में विष्णु जी ने भी ब्रह्मा जी का मदद की थी। इसी के चलते देवी सरस्वती ने भी विष्णु जी को शाप दिया कि उन्हें पत्नी से विरह का कष्ट सहन करना पड़ेगा। इसी कारण विष्णु जी ने श्री राम का अवतार लिया और 14 साल के वनवास के दौरान उन्हें पत्नी से अलग रहना पड़ा था।
ऐसे में पुष्कर में ब्रह्मा जी का एक ही मंदिर है। हालांकि, यह मंदिर किसने बनाया और कब बनाया इसकी जानकारी फिलहाल नहीं है। मान्यता है कि तकरीबन एक हजार दो सौ साल पहले अरण्व वंश के एक शासक को एक स्वप्न आया था कि इस जगह पर एक मंदिर है। इस मंदिर के सही रख-रखाव की जरूरत है।
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