Chausath Yogini Temple History: बेहद रहस्यमयी है भारत का यह चौसठ योगिनी मंदिर, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य
Chausath Yogini Temple History चौसठ योगिनी मंदिर को लेकर आस-पास के लोगों का कहना है कि आज भी यह मंदिर शंकर भगवान की तंत्र साधना के कवच से ढका हुआ है। यहां पर किसी को भी रात में ठहरने की इजाजत नहीं है। चौसठ योगिनी माता को मां काली का अवतार माना गया है। आइए इस मंदिर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chausath Yogini Temple History: भारत देश अपनी परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहां पूजा-पाठ का विशेष महत्व है, जो कहीं न कहीं देखने को भी मिल जाता है। यहां पर कई प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर हैं, जिनमें से एक मध्य प्रदेश का चौसठ योगिनी मंदिर भी है।
इस मंदिर को लोग तांत्रिक यूनिवर्सिटी भी कहते हैं। ऐसे में आज हम इस अद्भुत मंदिर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों का जिक्र करेंगे, जिसकी जानकारी होना बेहद जरूरी है, तो आइए यहां जानते हैं -
चौसठ योगिनी मंदिर की मुख्य बातें
चौसठ योगिनी मंदिर देवी योगिनी की पूजा के लिए समर्पित है। माना जाता है कि इन मंदिरों का निर्माण 9वीं और 12वीं शताब्दी के बीच, कलचुरी, चंदेल और प्रतिहार राजवंशों के शासनकाल के दौरान किया गया था, और ये अपने अद्वितीय गोलाकार आकार और खुली हवा वाले डिजाइन की विशेषता के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही इसमें 64 कमरे हैं, जिन 64 कमरों में शिवलिंग की स्थापना की गई है।
सबसे पुराना मंदिर
ऐसा कहा जाता है योगिनियों बेहद शक्तिशाली होती है। उनकी पूजा से तंत्र-मंत्र मे सिद्धि प्राप्त होती हैं। वर्तमान में, भारत में केवल चार ज्ञात चौसठ योगिनी मंदिर हैं। इस मंदिर के बारे में इतिहासकार बताते हैं कि यह खजुराहो का सबसे पुराना मंदिर है। इसे लोग एकत्तार्सो महादेव मंदिर के नाम से भी जानते हैं। यहां पहले 64 योगिनियों की मूर्तियां हुआ करती थीं, जिनका दर्शन करने के लिए लोग दूर- दूर से आते हैं।
मां काली का अवतार
चौसठ योगिनी मंदिर को लेकर आस-पास के लोगों का कहना है कि आज भी यह मंदिर शंकर भगवान की तंत्र साधना के कवच से ढका हुआ है। यहां पर किसी को भी रात में ठहरने की इजाजत नहीं है। चौसठ योगिनी माता को मां काली का अवतार माना गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी काली ने घोर नाम के राक्षस का अंत करने के लिए इस उग्र और शक्तिशाली रूप को धारण किया था।
यह भी पढ़ें: Sakat Chauth 2024: ऐसे करें सकट चौथ व्रत का पारण, जानें चंद्रोदय और पारण का समय
डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'