Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Chauth Mata Mandir: यहां स्थित है चौथ माता का सबसे पुराना मंदिर, दर्शन से मिलता है अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

भारत में ऐसे कई चमत्कारी मंदिर हैं जिनकी मान्यताओं के कारण उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली है। आज हम आपको चौथ माता के मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं मौजूद हैं जिसमें से एक यह भी है कि इस मंदिर में करवा चौथ की पूजा करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 27 Sep 2024 04:37 PM (IST)
Hero Image
Chauth Mata Mandir: देश में यहां स्थित है चौथ माता मंदिर।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। करवा चौथ का पर्व हिंदुओं के प्रमुख-व्रत त्योहारों में से एक माना जाता है, जो मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। इस दिन चौथ माता का चित्र बनाकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। चौथ माता (Chauth Mata Mandir) को असल में देवी पार्वती का ही एक रूप माना जाता है। ऐसे में आज हम आपको देश के सबसे पुराने एक ऐसे करवा चौथ माता मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके दर्शन मात्र से साधक को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।

कहां स्थित है मंदिर

चौथ माता का मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा गांव में स्थित है। यह मंदिर करीब एक हजार फीट की ऊंचाई पर अरावली पर्वत पर बना है। इस मंदिर में चौथ माता के साथ-साथ भगवान गणेश और भैरव की मूर्तियां भी स्थापित हैं। यह मंदिर जन आस्था का केन्द्र होने के साथ-साथ एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण भी है।

इस मंदिर की खास बातें

चौथ माता का मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है। आपको मंदिर तक पहुंचने के लिए 700 सीढ़ियां चढ़नी होंगी। मंदिर की खूबसरती के साथ-साथ मंदिर के आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य भी मन मोहने के लिए काफी है। यहां करवा चौथ, भाद्रपद चौथ, माघ चौथ और लक्खी मेला भी लगता है, जिसमें भाग लेने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसी के साथ नवरात्र के दौरान भी यहां विशेष रूप से धार्मिक आयोजन किए जाते हैं।

यह भी पढ़ें - Tirupati Balaji Mandir: क्या है महा शांति होम? तिरुपति बालाजी मंदिर में किया जा रहा है इसका विशेष आयोजन

किसने की थी स्थापना

कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सन 1451 में महाराजा भीमसिंह चौहान ने करवाया था। 1452 में मंदिर का जीर्णोद्घार किया गया था। वहीं, सन 1463 में मंदिर मार्ग पर बिजल की छतरी और तालाब का निर्माण कराया गया था। यह मंदिर राजपूताना शैली का भी एक अद्भुत उदाहरण है। बता दें कि राजस्थान के बूंदी राजघराने में चौथ माता की कुलदेवी के रूप में पूजा की जाती है।

यह भी पढ़ें - Shardiya Navratri 2024: यहां गिरा था मां सती का सिर, इस शारदीय नवरात्र पर जरूर करें दर्शन, दूर होंगे सभी कष्ट

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है