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शिवाजी के ये ऐसे रहस्यमयी किले हैं जहां परिंदा भी पर नही मार सकता

इस किले के कई गुफाये है जो अब बंद पड़ी हुयी है | कहा जाता है कि इन गुफाओ के अंदर ही शिवाजी ने गुरिल्ला युद्ध का अभ्यास लिया था |

By Preeti jhaEdited By: Updated: Sat, 18 Feb 2017 03:20 PM (IST)
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शिवाजी के ये ऐसे रहस्यमयी किले हैं जहां परिंदा भी पर नही मार सकता
मराठा साम्राज्य की पताका फहराने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी को हुआ था | मुगल सम्राट औरंगजेब को अपनी बहादुरी से झुका देने वाले शिवाजी का नाम देश के योद्धाओ में शुमार है | आज हम आपको उनके रहसमयी किलो के बारे में जानकारी देंगे , जो उन्होंने मुश्किल हालात में अपनी सत्ता को सुरक्षित रखने के लिए बनाये थे |

शिवनेरी किला

छत्रपति शिवाजी जा जन्म इसी किले में हुआ था | शिवनेरी किला , महाराष्ट्र के पुणे के पास जुन्नर गाँव में है | इस किले के भीतर माता शिवाई का मन्दिर है जिनके नाम पर शिवाजी का नाम रखा गया था | इस किले में मीठे पानी के दो स्त्रोत है जिन्हें लोग गंगा -जमुना कहते है | लोगो का कहना है कि इनसे साल भर पानी निकलता है | किले के चारो ओर गहरी खाई है जिससे शिवनेरी किले की सुरक्षा होती थी | इस किले के कई गुफाये है जो अब बंद पड़ी हुयी है | कहा जाता है कि इन गुफाओ के अंदर ही शिवाजी ने गुरिल्ला युद्ध का अभ्यास लिया था |

पुरदर का किला

पुरंदर का किला पुणे से 50 किमी की दूरी पर सासवाद गाँव में है | इसी किले में दुसरे छत्रपति साम्बाजी राज भौसले का जन्म हुआ था | साम्बाजी छत्रपति शिवाजी के बेटे थे | शिवाजी ने पहली जीत इसी किले पर कब्जा करके की थी | मुगल सम्राट औरंगजेब ने 1665 में इस किले पर कब्जा कर लिया था जिसे महज पांच सालो बाद शिवाजी ने छुड़ा लिया था और पुरन्दर के किले पर मराठा झंडा लहरा दिया था | इस किले में एक सुरंग है जिसका रास्ता किले के बाहर की ओर जाता है | इस सुरंग का इस्तेमाल युद्ध के समय शिवाजी बाहर जाने के लिए किया करते थे |


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रायगढ़ का किला

रायगढ़ का किला छत्रपति शिवाजी की राजधानी की शान रही है | उन्होंने 1674 ईस्वी में इस किले को बनवाया था | मराठा साम्राज्य का नरेश बनने पर लम्बे समय तक रायगढ़ किला उनका निवास स्थान बना रहा | रायगढ़ किला समुद्रतल से 2700 फुट की उंचाई पर स्थित है | इस किले तक पहुचने के लिए करीब 1737 सीढ़िया चढनी पडती है | रायगढ़ किले पर 1818 ईस्वी में अंग्रेजो ने कब्जा जमा लिया और किले में जमकर लूटपाट मचाकर इसके काफी हिस्सों को नष्ट कर दिया |


सुर्वर्ण दुर्ग

सुवर्ण दुर्ग किले को गोल्डन फोर्ट के नाम से भी जाना जाता अहि | शिवाजी ने इस किले पर 1660 ईस्वी में कब्जा किया था | उन्होंने अली आदिलशाह द्वितीय को हराकर सुवर्णदुर्ग को मराठा साम्राज्य में मिला दिया था | समुद्री ताकत को बढ़ाने के लिए इस किले पर कब्जा किया गया था | इसी किले में शिवाजी के बाद के राजाओं ने मराठा जल सेना भी बनाई थी | इस किले के जरिये मराठो ने कई समुद्री आक्रमणों को रोका था |

सिन्धु दुर्ग

छत्रपति शिवाजी ने सिन्धु दुर्ग का निर्माण कोंकण तट पर कराया था | मुम्बई से 450 किमी दूर कोंकण के पास सिंधुदुर्ग किला है | इस किले को बनने में तीन साल का समय लगा था | सिन्धुदुर्ग किला 48 एकड़ में फैला हुआ है | किले का बाहरी दरवाजा इस तरह बनाया गया है कि सुई भी संदर नही जा सकती |

लोहागढ़ दुर्ग

लोहागढ़ दुर्ग में मराठा साम्राज्य की सम्पति रखी जाती थी | यह पुणे से 52 किमी दूर लोनावाला में स्थित है कहा जाता है कि सुरत से लुटी गयी सम्पतियो को भी यही रखा गया था | मराठा के मातहत पेशवा नामा साहब ने लम्बे समय तक लोहागढ़ दुर्ग को अपना निवास स्थान बनाया था |

अर्नाला का किला

अर्नाला का किला महाराष्ट्र के वसई गाँव में है | यह मुम्बई से 48 किमी दूरी पर है | बाजीराव के भाई चीमाजी ने इस पर कब्जा कर लिया था हालांकि इस युद्ध में काफी लोगो को मराठो ने खोया था | 1802 ईस्वी में पेशवा बाजीराव द्वितीय ने संधि कर ली | इसके बाद अर्नाला का किला अंग्रेजो के प्रभुत्व में आ गया | इस किले से गुजरात के सुल्तान ,पुर्तगाली ,अंग्रेज और मराठाओ ने शासन किया है | अरनाला का किला तीनो ओर से समुद्र से घिरा हुआ है |

प्रतापगढ़ किला

महाराष्ट्र के सतारा में स्थित प्रतापगढ़ किला शिवाजी के शौर्य की कहानी बताता है | इस किले को प्रतापगढ़ में हुए युद्ध से भी जाना जाता है | शिवाजी ने नीरा और कोयना नदियों के तटो और पार दर्रे की सुरक्षा के लिए यह किला बनवाया था | 1665 में प्रतापगढ़ का किला बनकर तैयार हुआ था | इस किले से 10 नवम्बर 1656 को छत्रपति शिवाजी और अफजल खान के बीच युद्ध हुआ था जिसमे शिवाजी की जीत हुयी थी | प्रतापगढ़ किले की इस जीत को मराठा साम्राज्य के लिए नीव माना जाता है |

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