इस मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन से अविवाहित जातकों की शीघ्र हो जाती है शादी
श्री चिंतामण गणेश मंदिर (Chintaman Ganesh Temple) में जत्रा पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसकी शुरुआत चैत्र माह के प्रथम बुधवार से होती है। इसके बाद हर बुधवार को जत्रा होती है। इस शुभ अवसर पर सभी वर्ग के लोग भगवान गणेश के दर्शन के लिए आते हैं। साथ ही मकर संक्रांति के मौके पर भी तिल महोत्सव मनाया जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chintaman Ganesh Mandir: सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र का विशेष महत्व है। इस शास्त्र के माध्यम से भविष्य की गणना की जाती है। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में ग्रहों को दो वर्गों में बांटा गया है। चंद्र, बुध, गुरु और शुक्र शुभ ग्रह माने जाते हैं। वहीं, मंगल, राहु, केतु और शनि को अशुभ ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। शुभ ग्रह के रहने पर जातक की शादी शीघ्र हो जाती है। वहीं, अशुभ ग्रहों के चलते विवाह में बाधा आती है। कुंडली में कई प्रकार के दोष लगते हैं। इन दोषों के चलते विवाह में बाधा आती है। अतः प्रकांड पंडित से सलाह लेकर दोष का निवारण कराएं। लेकिन क्या आपको पता है कि देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां देव दर्शन से विवाह में आने वाली बाधा दूर हो जाती है ? इनमें एक मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। इस मंदिर में देवों के देव महादेव के अनुज पुत्र गणेश जी विराजमान हैं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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कहां है मंदिर ?
मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्री चिंतामण गणेश मंदिर है। यह मंदिर उज्जैन से 5 किलोमीटर की दूरी पर फतेहाबाद रेलवे स्टेशन के नजदीक है। इस मंदिर में भगवान गणेश के एक नहीं बल्कि तीन प्रतिमाएं स्थापित हैं। आसान शब्दों में कहें तो श्री चिंतामण गणेश मंदिर में भगवान गणेश तीन रूप में अवस्थित हैं। इनमें प्रथम भगवान को चिंतामण गणेश कहा जाता है। वहीं, द्वितीय भगवान को इच्छामण गणेश कहा जाता है। जबकि, तृतीय भगवान को सिद्धिविनायक कहा जाता है। चिंतामण गणेश के दर्शन से चिंता दूर होती है। इच्छामण गणेश के दर्शन से मनोकामना पूरी होती है। वहीं, सिद्धिविनायक के दर्शन से सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है।
श्री चिंतामन गणेश मंदिर का इतिहास
स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवान गणेश इस स्थान पर स्वयंभू हुए हैं। आसान शब्दों में कहें तो इस स्थान पर भगवान गणेश का स्वयं से प्राकट्य हुआ है। इस मंदिर का इतिहास (Chintaman Ganesh Temple History) भगवान श्रीराम से जुड़ा है। इतिहासकारों की मानें तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम वनवास के दौरान घूमते-घूमते इस स्थान पर आये थे। इसी स्थान पर जगत जननी मां जानकी को प्यास लगी थी। उस समय लक्ष्मण जी ने अपने धनुष बाण की सहायता से पृथ्वी से जल को प्रकट किया था। उस दिन मां जानकी ने व्रत किया था। जल पीकर मां जानकी ने व्रत तोड़ा था। इसी स्थान पर भगवान श्रीराम संग मां लक्ष्मी और लक्ष्मण जी ने भगवान गणेश की पूजा की थी। तत्कालीन समय से श्री चिंतामण गणेश मंदिर में भगवान गणेश के तीनों रूपों की पूजा की जाती है।
विवाह हेतु क्या है मान्यता ?
प्राचीन समय से श्री चिंतामण गणेश मंदिर आस्था का केंद्र रहा है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान गणेश के दर्शन हेतु श्री चिंतामण गणेश मंदिर आते हैं। ऐसी मान्यता है कि श्री चिंतामण गणेश मंदिर से कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है। वहीं, अविवाहित जातक शीघ्र विवाह के लिए श्री चिंतामण गणेश मंदिर आते हैं। इस मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। इस अवसर पर जातक या उनके माता-पिता विवाह हेतु लग्न कार्ड लिखते हैं और भगवान गणेश के चरणों में समर्पित करते हैं। जब जातक की शादी हो जाती है, तो वर और वधू दोनों ही श्री चिंतामण गणेश मंदिर आकर गणपति बप्पा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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