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इस मंदिर में गणपति बप्पा के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं सभी कष्ट, बाल गंगाधर तिलक से जुड़ा है कनेक्शन

भगवान गणेश (Dagdusheth Ganpati Temple) को कई नामों से जाना जाता है। इनमें एक नाम विघ्नहर्ता है। भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में मंगल का आगमन होता है। अनादिकाल से भगवान गणेश की पूजा की जा रही है। गणेश चतुर्थी पर साधक श्रद्धा भाव से गणपति बप्पा की पूजा करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 01 Sep 2024 09:09 PM (IST)
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Dagadu Seth Halwai Temple: दगड़ू सेठ गणपति मंदिर का इतिहास ( Image Credit: dagdushethganpati.com)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के अगले दिन गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का अवतरण हुआ है। अतः इस तिथि पर भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है। धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा करने से आय, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही धन संबंधी परेशानी दूर होती है। इस शुभ अवसर पर साधक भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। देश में कई प्रमुख गणेश मंदिर हैं। इनमें दगड़ू सेठ गणपति मंदिर (Dagadusheth Ganapati Temple) का इतिहास सौ साल से अधिक पुराना है। आइए, दगड़ू सेठ गणपति मंदिर के बारे में जानते हैं-

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कहां है दगड़ू सेठ गणपति मंदिर ? (Dagdusheth Mandir)

दगड़ू सेठ गणपति मंदिर महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि हजारों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन गणपति बप्पा के दर्शन हेतु दगड़ू सेठ गणपति मंदिर आते हैं। इस दर से कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है। भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गणेश उत्सव के शुभ अवसर पर दगड़ू सेठ गणपति मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। दगड़ू सेठ गणपति मंदिर सौ साल से अधिक पुराना है। इस मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित है। गणेश जी की प्रतिमा की ऊंचाई 2 मीटर से अधिक है। मंदिर में प्रतिदिन पूजा एवं आरती की जाती है। मंदिर की देखरेख दगड़ू सेठ गणपति ट्रस्ट द्वारा की जाती है।

इतिहास एवं महत्व (Dagdusheth Mandir History)

इतिहासकारों की मानें तो पुणे स्थित गणपति मंदिर का निर्माण दगड़ू सेठ हलवाई ने करवाया था। ऐसा कहा जाता है कि दगड़ू सेठ मिठाई के व्यापारी थे। व्यापार के चलते दगड़ू सेठ पुणे आकर बस गये। समय के साथ दगड़ू सेठ बड़े व्यापारी बन गये। इस दौरान प्लेग बीमारी के चलते दगड़ू सेठ के पुत्र का निधन हो गया। दगड़ू सेठ को एक ही पुत्र था। पुत्र के खोने से दगड़ू सेठ को गहरा सदमा लगा। उनकी मनोस्थिति बदल गई। यह जान उनकी पत्नी ने दगड़ू सेठ को किसी पंडित से संपर्क करने की सलाह दी। तत्कालीन समय में एक साधु (पंडित) ने दगड़ू सेठ को पुणे में गणेश मंदिर बनाने की सलाह दी। साधु की सलाह पर दगड़ू सेठ ने पुणे में गणपति मंदिर बनवाया। साथ ही मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना की। ऐसा भी कहा जाता है कि बाल गंगाधर तिलक ने दगड़ू सेठ मंदिर से गणेश पूजा की शुरुआत की। वर्तमान समय में भी प्रतिवर्ष दगड़ू सेठ मंदिर में गणेश पूजा धूमधाम से की जाती है। धार्मिक मत है कि दगड़ू सेठ गणपति मंदिर में बप्पा के दर्शन से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।