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Daksheshwar Mahadev Temple: सावन के महीने में यहां विराजाते हैं महादेव, श्रद्धालुओं की उमड़ती है भारी भीड़

हरिद्वार में कई मंदिर स्थापित हैं जिन्हें लेकर लोगों के बीच अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो धरती के साथ-साथ पाताल लोक में भी स्थित है। यह मंदिर कहीं और नहीं बल्कि धर्मनगरी हरिद्वार (Haridwar) में स्थित है। तो चलिए जानते हैं इस अद्भुत मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sat, 18 May 2024 05:17 PM (IST)
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Daksheshwar Mahadev Temple: सावन के महीने में यहां विराजमान होते हैं महादेव।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Daksheshwar Mahadev Temple: भारत में भगवान शिव के ऐसे कई मंदिर स्थित हैं जो अपनी मान्यताओं और रोचक इतिहास को लेकर प्रसिद्ध हैं। इसी प्रकार हरिद्वार में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर भी अपने आप में श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर की कथा भगवान शिव और राजा दक्ष से जुड़ी हुई है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास।

मंदिर की पौराणिक कथा

एक बार जब राजा दक्ष ने भव्य यज्ञ का आयोजन किया था, तो भगवान शिव के अलावा सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया। तब माता सती जिद्द करके यज्ञ में चली जाती हैं। वहां उनके पिता दक्ष शिव जी की बहुत अपमान करते हैं, जिसे माता सती सहन नहीं कर पाती और वह अग्नि कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लेती हैं। तब शिव जी के क्रोध में आकर अपनी जटाओं से वीरभद्र को पैदा किया, जिसने राजा दक्ष का सिर काट दिया था।

देवी-देवताओं के अनुरोध करने पर भगवान शिव ने राजा दक्ष को जीवनदान देते हुए बकरे का सिर लगा दिया। तब राजा दक्ष ने अपनी गलतियों के लिए भगवान शिव से क्षमा याचना की। भोलेनाश ने राजा दक्ष को माफ करते हुए यह वचन दिया कि इस मंदिर का नाम हमेशा उनके नाम से जुड़ा रहेगा। इसी कारण से मंदिर का नाम “दक्षेश्वर महादेव मंदिर” है। साथ ही महादेव ने यह भी कहा कि हर साल सावन के महीने में वह कनखल में ही निवास करेंगे।

किसने बनवाया था मंदिर

कथाओं के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण रानी धनकौर ने सन 1810 में करवाया था। 1962 में इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया। इस मंदिर में पांव के निशान भी बने हुए हैं, जिन्हें भगवान विष्णु के पद चिन्ह माना जाता है। दक्षेश्वर महादेव मंदिर के पास ही गंगा नदी भी बहती हैं, जिसके किनारे पर “दक्षा घाट” है। यह मंदिर मुख्य रूप से सती के पिता राजा दक्ष की याद में बनवाया गया है।

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क्या है खासियत

मान्यताओं के अनुसार, माता सती के पिता राजा दक्ष को भगवान शिव ने यह वचन दिया था कि वह इस मंदिर में दक्षेश्वर महादेव के रूप में पूजे जाएंगे और अपने ससुराल यानी कनखल में निवास करेंगे। यही कारण है कि सावन के माह में इस मंदिर में शिवलिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है वह धरती लोक के साथ पाताल लोक में भी स्थापित है। अपने आप में यह दुनिया का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।