Kaal Bhairav Mandir: वाराणसी के काल भैरव मंदिर में करें यह एक काम, बदल जाएगी आपकी किस्मत
वाराणसी के काल भैरव मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने के साथ काल भैरव मंदिर के दर्शन न करने से शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है। मान्यता के अनुसार काल भैरव मंदिर में दीपक जलाने से गृह क्लेश की समस्या खत्म होती है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में विस्तार से।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kaal Bhairav Mandir Varanasi: सनातन धर्म में काल भैरव को तंत्र-मंत्र का देवता माना गया है। यह भगवान शिव का रौद्र स्वरूप हैं। धार्मिक मान्यता है कि विधिपूर्वक काल भैरव की पूजा-अर्चना करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं। देश में काल भैरव को समर्पित ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने रहस्य की वजह से अधिक प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में है, जहां काल भैरव की विशेष उपासना की जाती है।
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प्रसाद में चढ़ता है मदिरा
काल भैरव मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं। मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने के साथ काल भैरव मंदिर के दर्शन न करने से शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है। मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाने से जातक के जीवन के दुख और संकट दूर होते हैं। साथ ही काल भैरव सभी मुरादें पूरी करते हैं। यहां प्रभु को मदिरा चढ़ाया जाता है और लाल, बैंगनी फूल अर्पित किए जाते हैं।काला धागा है बेहद फलदायीऐसा माना जाता है कि इस मंदिर से प्रसाद के रूप में मिलने वाला काले धागे को गले और हाथ में धारण करने से गृह क्लेश की समस्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही जीवन में आने वाली सभी बाधाएं जल्द समाप्त होती हैं।धार्मिक मान्यता है कि काल भैरव का जन्म भगवान शिव की तीसरी आंख से हुआ है। यह मंदिर में अधिक पुराना बताया जाता है। मंदिर का निर्माण कब हुआ। इसके बारे में वास्तव कोई जानकारी नहीं है।
यह भी पढ़ें: Swapna Shastra: सपने में घोडा देखना शुभ या अशुभ? जानिए क्या कहता है स्वप्न शास्त्रअस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।