Dwadash Jyotirling: भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग और उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
Dwadash Jyotirling हिन्दू धर्म में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती हैं। शास्त्रों में वर्णित हैं कि भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों की उपासना करने से साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। आज हम इसी विषय पर बात करेंगे और जानेंगे भगवान शिव के प्रमुख द्वादश ज्योतिर्लिंगों के विषय में।
By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sat, 15 Jul 2023 05:27 PM (IST)
नई दिल्ली; अध्यात्म डेस्क । Dwadash Jyotirling: सनातन धर्म में भगवान शिव की उपासना सृष्टि के संहारक के रूप में की जाती है। माना जाता है कि भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति के सभी कष्टों का संहार हो जाता है। इसके साथ हिंदू धर्म में भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों की उपासना की भी विशेष मान्यता है। बता दें कि ज्योतिर्लिंग शब्द का संधि विच्छेद ज्योति एवं लिंग है, जिसमें ज्योति का अर्थ प्रकाश और लिंग का अर्थ प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के इन सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों की उपासना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आज हम इसी विषय पर बात करेंगे और जानेंगे भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग और उनके विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
गुजरात के सौराष्ट्र जिले में समुद्र के किनारे मौजूद भगवान सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की गणना सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम स्थान पर की जाती है। माना जाता है कि यहां पूजा-पाठ करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के किनारे श्री शैल पर्वत पर स्थित है। इस पवित्र धार्मिक स्थल पर माता पार्वती के साथ महादेव के ज्योति रूप के दर्शन होते हैं। यहां दर्शन मात्र से ही साधक को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
मध्य प्रदेश उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जहां दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग की उपासना की जाती है। मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान महाकाल के दर्शन करने से सभी प्रकार के भय, रोग एवं दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।