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Hanuman Mandir: देश के इस मंदिर में हनुमान जी की स्त्री के रूप में होती है पूजा, किए जाते हैं सोलह शृंगार

छत्तीसगढ़ के एक मंदिर में भगवान हनुमान जी की पूजा देवी के रूप में की जाती है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यह विश्व का इकलौता मंदिर है जहां हनुमान जी को देवी के रूप में पूजा जाता है। साथ ही भगवान हनुमान जी को सोलह शृंगार अर्पित किया जाता है।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Wed, 14 Feb 2024 12:10 PM (IST)
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Hanuman Mandir: देश के इस मंदिर में हनुमान जी की स्त्री के रूप में होती है पूजा
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hanuman Mandir: देश में ऐसे कई मंदिर हैं, जिनका विशेष महत्व है। इनमें से छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पास भगवान हनुमान जी का एक मंदिर है, जो बेहद चमत्कारिक और रहस्यमयी है। इस मंदिर में भगवान हनुमान जी की पूजा देवी के रूप में की जाती है। हनुमान मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यह विश्व का इकलौता मंदिर है, जहां हनुमान जी को देवी के रूप में पूजा जाता है। साथ ही भगवान हनुमान जी को सोलह शृंगार अर्पित किया जाता है। चलिए जानते हैं भगवान हनुमान जी के नारी स्वरूप और मंदिर के बारे में।

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पूजा करने से मनोकामनाएं होती हैं पूरी

लोगों का मानना है कि यहां पर भगवान हनुमान जी प्रकट हुए थे। मान्यता के अनुसार, रोजाना संकटमोचन हनुमान जी द्वारिकापुरी से इस मंदिर की फेरी लगाने आते हैं। इस मंदिर के प्रति लोगों की भव्य आस्था है। यहां श्रद्धालु देश-विदेश से आकर भगवान हनुमान जी की पूजा करते हैं और दर्शन करते हैं। साथ ही उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में पूजा करने से साधक की मनोकामना पूरी होती है।

राजा ने रतनपुर पर किया था शासन

रतनपुर के गिरजाबांध में मौजूद इस मंदिर में भगवान हनुमान जी मूर्ति कई वर्ष पुरानी है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पृथ्वी देवजू नाम के राजा के द्वारा हुआ था। वह संकटमोचन भगवान हनुमान जी के भक्त थे और वह उनके प्रति बेहद आस्था रखते थे। कुष्ठ रोग से पीड़ित पृथ्वी देवजू ने कई वर्षों तक रतनपुर पर शासन किया था।

राजा को हनूमान जी ने दिया था ये निर्देश

ऐसा बताया जाता है कि एक बार सपने में राजा को हनुमान जी ने मंदिर बनाने का निर्देश दिया था। इसके बाद मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। जब मंदिर का कार्य पूर्ण होने वाला था, तब राजा के सपने में दुबारा हनुमान जी आए और उन्हें महामाया कुंड से मूर्ति निकाल कर मंदिर में स्थापित करने का निर्देश दिया।

राजा ने हनुमान जी के निर्देशों का पालन करते हुए और महामाया कुंड से मूर्ति निकालवाई। कुंड से निकाली गई मूर्ति में हनुमान जी का स्वरुप स्त्री जैसा था। राजा ने पूरे विधि-विधान से मंदिर में मूर्ति की स्थापना करवाई। भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापना के बाद राजा पृथ्वी देवजू बीमारी से मुक्त हो गया।

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