देश का एक ऐसा मंदिर, जहां स्कूल के साथ है कई हजार पुस्तकों का संग्रह
गोपाल मंदिर लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में स्थित है। इस मंदिर को गोपाल मंदिर के नाम से जाना जाता है। गोपाल मंदिर गुरु भक्तो के अनंत अविभूषित पूज्य रामशंकर जी जानी (बड़े बापजी) पूज्य घनश्याम प्रभु जी जानी (छोटे बापजी ) और माता रविकांता बेन जी (गोपाल प्रभु) को समर्पित है।
By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Mon, 26 Feb 2024 06:40 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Gopal Mandir Jhabua: देश में ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने रहस्य की वजह से मशहूर हैं। कई मंदिरों में आस्था के साथ ही कई रहस्य भी शामिल हैं। देश में एक ऐसा मंदिर है, जिसमे स्कूल के साथ कई हजार पुस्तके हैं। यह मंदिर लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में स्थित है। इस मंदिर को गोपाल मंदिर के नाम से जाना जाता है। गोपाल मंदिर गुरु भक्तो के अनंत अविभूषित पूज्य रामशंकर जी जानी (बड़े बापजी), पूज्य घनश्याम प्रभु जी जानी (छोटे बापजी ) और माता रविकांता बेन जी (गोपाल प्रभु) को समर्पित है।
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वार्षिक उत्सव पर खूबसूरत तरीके से सजाते हैं मंदिर
बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण वर्ष 1970 में किया गया था। मंदिर निर्माण के दौरान भक्त मंडल और ट्रस्ट के सभी लोगों के साथ ट्रस्ट में संरक्षक एवं वरिष्ट ट्रस्टी श्री विश्वनाथजी त्रिवेदी मोटा भाई की बेहद खास भूमिका रही। मंदिर बनने के बाद गोपाल मंदिर ट्रस्ट का गठन हुआ। हर साल मई के महीने में इस मंदिर का वार्षिक उत्सव अधिक आनंद के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव चार दिनों तक चलता है। उत्सव के लिए गोपाल मंदिर को बेहद खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है।
रात को होती है भजन संध्यामंदिर की देखरेख कार्य समिति और विभिन्न संस्थाएं करती हैं, जिनमें श्री गोपाल वाचनालय, श्री गोपाल शिशु विद्या मंदिर आदि हैं। गोपाल वाचनालय में सांस्कृतिक, धार्मिक और साहित्यिक से संबंधित 20 हजार पुस्तके हैं। स्कूल में 1 से 5 तक क्लास के बच्चों को पढ़ाया जाता है। मंदिर में सुबह 9.30 बजे आरती और रात को 8 बजे भजन संध्या का आयोजन किया जाता है। गोपाल मंदिर में उत्सव के दौरान भंडारा भी किया जाता जाता है।
कैसे पहुंचे गोपाल मंदिर?अगर आप गोपाल मंदिर जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो सबसे पहले आपको बता दें कि यह मंदिर मध्य प्रदेश के झाबुआ शहर के मध्य भाग में स्थित है। मंदिर से इंदौर 150 किलोमीटर दूर है। वहीं मदिर से दाहोद 75 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा थांदला, मेघनगर, राणापुर और जोबट आदि है, जो मंदिर से कुछ ही दूरी पर हैं। अगर आप रेल मार्ग जाना चाहते हैं, तो मंदिर के नजदीक मेघनगर रेलवे स्टेशन नजदीक है।
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