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Hariyali Teej 2024: क्यों हरियाली तीज पर बांके बिहारी स्वर्ण जड़ित हिंडोले पर देंगे दर्शन? जानें इसकी खासियत

भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। ऐसा ही एक मंदिर वृंदावन में स्थित है बांके बिहारी जी का। मंदिर में अधिक संख्या में भक्त अपने आराध्य के दर्शन के लिए आते हैं। वहीं हरियाली तीज पर भी मंदिर में बेहद खास रौनक देखने को मिलती है क्योंकि इस दिन बांके बिहारी (Shri Banke Bihari Hindola Darshan) जी सोने के झूले पर विराजमान होते हैं।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 06 Aug 2024 01:49 PM (IST)
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Hariyali Teej 2024: हरियाली तीज हिंडोला उत्सव
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hariyali Teej Hindola Utsav 2024: देशभर में हरियाली तीज के दिन खास उत्साह देखने को मिलता है। इस खास अवसर पर मंदिरों में भजन-कीर्तन आदि का आयोजन किए जाता है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं करती हैं। मान्यता है कि इससे विवाहित महिलाओं का जीवन खुशियों से भर जाता है और पति को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, कृष्ण भक्त हरियाली तीज के आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी हरियाली तीज पर वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में ठाकुरजी स्वर्ण-रजत के हिंडोले (Golden Hindola Facts) में दर्शन देते हैं। हरियाली तीज का पर्व 07 अगस्त को है। इस दिन बांके बिहारी जी सोने के झूले पर विराजमान होंगे। ऐसे में चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं इसकी खासियत के बारे में।

ये है खासियत

  • बांके बिहारी जी का झूला 20 किलो सोना और एक कुंतल चांदी से बनाया गया है।
  • इस हिंडोला को बनाने के लिए 25 लाख रुपये का खर्चा आया था।  
  • ऐसा बताया जाता है कि हिंडोला 1942 से बनना शुरू हुआ और 1947 में तैयार हुआ।
  • यह हिंडोला एक प्रकार से आजादी की वर्षगांठ की याद को ताजा करता है।
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बांके बिहारी मंदिर दर्शन टाइम (Banke Bihari Mandir Darshan Time)

इस दिन मंदिर में अधिक भीड़ होती है, तो इसके मद्देनजर हरियाली तीज के लिए मंदिर के दर्शन टाइम में बदलाव किया गया है। 07 अगस्त को बांके बिहारी मंदिर के पट तय समय पर ही खुलेंगे। वहीं, दोपहर में 2 बजे मंदिर के पट बंद होंगे। दर्शन के लिए शाम को मंदिर 5 बजे खुल जाएंगे और रात को 11 बजे मंदिर के पट बंद हो जाएंगे।

सभी मुरादें करते हैं पूरी

बांके बिहारी मंदिर कई रहस्य देखने को मिलते हैं। जैसे कि वर्ष में केवल एक दिन एक दिन मंगला आरती होना, वर्ष में सिर्फ एक बार भगवान बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन होना। इसके अलावा साल में केवल एक बार बंसी और मुकुट धारण करना। मान्यता के अनुसार, साधक जो बांके बिहारी जी से मनोकामनाएं मांगते है। वह पूरी होती हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।