Highest Krishna Temple: यहां स्थित है दुनिया का सबसे ऊंचा श्रीकृष्ण मंदिर, पांडवों से जुड़ा है इतिहास
भारत में कई चमत्कारी और अद्भुत मंदिर स्थित हैं जिसके दर्शन करने के लिए भक्त दूर-दूर से पहुंचते हैं। इसी प्रकार हिमाचल में भी भगवान श्रीकृष्ण का एक बहुत ही सुंदर मंदिर स्थापित है जिसे पांडवों से जोड़कर देखा जाता है। इस मंदिर को लेकर यह भी कहा जाता है कि यहां आकर मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जब भी हम भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों का जिक्र करते हैं, तो सबसे पहले हमारे मन में मथुरा, वृंदावन का ही ख्याल आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे ऊंचा कृष्ण मंदिर मथुरा या वृंदावन में नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश में स्थित है। तो चलिए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें।
ये है खासियत
हिमाचल प्रदेश किन्नौर के निचार में युल्ला कांडा में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर स्थापित है। यह दुनिया के सबसे ऊंचे कृष्ण मंदिर के रूप में जाना जाता है, जो लगभग 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर तो सुंदर है ही, साथ ही यहां से दिखने वाले नजारे भी बहुत लुभावने हैं। मंदिर में जन्माष्टमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है और जन्माष्टमी मेले का भी आयोजन किया जाता है। इस दौरान दर्शन के लिए कई भक्त यहां पहुचते हैं। इसी के साथ होली के खास मौके पर भी यहां भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है।
झील से जुड़ी मान्यता
युल्ला कांडा कृष्ण मंदिर एक झील के बीचो-बीच में स्थित है। इस झील से यह मान्यता जुड़ी है कि स्थानीय लोगों का मानना है कि पांचों पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस झील का निर्माण किया था, जहां आज कृष्ण मंदिर स्थापित है। यही कारण है कि स्थानीय लोगों की इस मंदिर से इतनी आस्था जुड़ी हुई है।यह भी पढ़ें - एक नहीं बल्कि 5 पर्वत श्रृंखलाओं का समूह है कैलाश, जानें इनका धार्मिक महत्व
मनोकामना होती है पूरी
असल में युला कांडा ट्रैकिंग के लिए बनाया गया एक ट्रैक है, जिसकी सहायता से आप पैदल भी भगवान कृष्ण के इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं। आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से भी यह स्थान काफी मायने रखता है। जन्माष्टमी के दिन यहां श्रद्धालु किन्नौरी टोपी को उल्टा करके झील में डालते हैं। यदि किसी की टोपी बिना डूबे एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंच जाती है, तो यह माना जाता है कि उस व्यक्ति की मनोकामना जरूर पूरी होगी।यह भी पढ़ें - Lalbaugcha Raja Darshan 2024: बेहद मनमोहक है लालबागचा राजा का स्वरूप, जानें बप्पा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातेंअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।