Omkareshwar Temple: मध्य प्रदेश के इस मंदिर में देवों के देव महादेव करते हैं रात्रि विश्राम
Omkareshwar Temple ओंकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा में है। यह शहर नर्मदा नदी के किनारे बसा है। वर्तमान समय में ओंकारेश्वर मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन हेतु ओंकारेश्वर मंदिर आते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 12 Apr 2023 01:26 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Omkareshwar Temple: मध्य प्रदेश को धर्म नगरी भी कहा जाता है। इस प्रदेश में एक से अधिक विश्व प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं। इनमें महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, ममलेश्वर, पशुपतिनाथ, भोजेश्वर महादेव, चौरागढ़ महादेव, बटेश्वर के शिव मंदिर, ककनमठ मंदिर, ईश्वरा महादेव मंदिर प्रमुख हैं। ओंकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा में है। यह शहर नर्मदा नदी के किनारे बसा है। वर्तमान समय में ओंकारेश्वर मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन हेतु ओंकारेश्वर मंदिर आते हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ओंकारेश्वर मंदिर में देवों के देव महादेव और माता पार्वती चौपड़ खलेने आते हैं। वहीं, चौपड़ खलेने के बाद रात्रि विश्राम भी करते हैं। आइए, इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता जानते हैं-
क्या है मान्यता ?ओमकारेश्वर इंदौर शहर के पास स्थित है। बड़ी संख्या में भक्त देवों के देव महादेव का दर्शन करने हेतु ओमकारेश्वर आते हैं। वहीं, बाबा के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ओंकारेश्वर देश का एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है। जहां, तीनों प्रहर में आरती की जाती है। तीनों समय में देवों के देव महादेव उपस्थित रहते हैं। आरती के पश्चात महादेव और माता पार्वती चौपड़ खेलते हैं। इसके लिए मंदिर में संध्या आरती के बाद चौपड़ सजाई जाती है। दैविक काल से ये परंपरा चली आ रही है।
रोजाना मंदिर के पुजारी संध्या आरती के बाद चौपड़ सजाते हैं। इसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। एक बार कपाट बंद होने के बाद किसी को मंदिर में आने जाने की अनुमति नहीं होती है। अगले दिन प्रातः काल में मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। उस समय चौपड़ पर रखी गोटे बिखरे मिलते हैं। मानो किसी ने चौपड़ खेला है। इस बारे में मंदिर के पुजारियों का कहना है कि रोजाना माता पार्वती संग शिवजी चौपड़ खेलने आते हैं। दोनों चौपड़ खेलते हैं। इसके बाद मंदिर के शयन कक्ष में विश्राम भी करते हैं। वहीं, संध्या काल में देवों के देव महादेव तीनों लोकों का भ्रमण करने के बाद ओंकारेश्वर आते हैं।
डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '