इस मंदिर में किन्नर करते हैं भगवान से शादी
क्या आपने कभी किन्नरों का देवताओं से विवाह सुना है। जी हां तमिलनाडु के एक मंदिर में अरावन देवता किन्नरों के साथ विवाह करते हैं। आइए जानें इस मंदिर के बारे में...
By shweta.mishraEdited By: Updated: Wed, 09 Aug 2017 08:42 AM (IST)
भगवान अरावन के मंदिर
तमिलनाडु में अरावन देवता काफी प्रसिद्ध हैं। दक्षिण भारत में किन्नरों को अरावनी नाम से बुलाया जाता है। जिससे इनके देवता को अरावन देवता कहते हैं। वहीं अरावन देवता महाभारत युद्ध के प्रमुख पात्रों में से एक थे। आज तमिलनाडु के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में भगवान अरावन के मंदिर बने हैं, लेकिन इसका सबसे प्राचीन और मुख्य मंदिर विल्लुपुरम जिले के कूवगम गांव में स्थित है। यहां पर साल में एक बार तमिल नव वर्ष की पहली पूर्णिमा पर बड़ा उत्सव होता है। यह 18 दिनों तक चलता है। इस उत्सव के बारे में सुनकर आपको भी हैरानी होगी। यहां पर अरावन देवता किन्नरों से विवाह करते हैं। पहले 16 दिन वैवाहिक गीत आदि गाए जाते हैं। 17वें दिन पूजा व विवाह कराया जाता है।
दुल्हन जैसे तैयार होते किन्नर
किन्नर इस विवाह कार्यक्रम में एक दुल्हन की तरह से तैयार होते हैं। विवाह की सभी रस्में विधिविधान से पूरी की जाती हैं। विवाह के बाद किन्नर मंगल सूत्र आदि भी पहनते हैं। हालांकि इस विवाह के अगले दिन 18वें दिन सारे गांव में अरावन की प्रतिमा को घूमाकर उसे तोड़ दिया जाता है। इसे अरावन देव की मृत्यु होना माना जाता है। जिसके बाद दुल्हन बने किन्नर अपना मंगलसूत्र तोड़ देते है। इसके अलावा अपना सारा श्रृंगार मिटान के साथ सफेद कपड़े पहनकर एक विधवा बन जाते हैं। इस दौरान काफी विलाप भी करते हैं। इसके बाद किन्नरों का वैवाहिक जीवन भी खत्म हो जाता है। इस दौरान इस पूरे उत्सव को देखने के लिए यहां पर लोगों की काफी भीड़ होती है। इसमें विदेश से भी किन्नर आते हैं।
अर्जुन के पुत्र थे अरावन देवता और किन्नरों के इस विवाह प्रथा को महाभारत से जुडा बताया जाता है। महाभारत की कथा के एक बार अरावन अर्जुन और नाग कन्या उलुपी के पुत्र थे। कहा जाता है कि एक बार अर्जुन द्वारा द्रोपदी से शादी की एक शर्त में उल्लंघन हो गया था। जिससे वह इंद्रप्रस्थ छोड़कर एक साल की तीर्थयात्रा पर गए थे। इस दौरान उत्तर-पूर्व भारत की ओर गए अर्जुन का विवाह उलूपी नाम की एक नाग कन्या से हो जाता है और उन्हें एक पुत्र होता है। उलुपी और अर्जुन के बेटे का नाम अरावन हुआ था। हालांकि बाद में अर्जुन इस बच्चे को छोड़कर चले जाते हैं। ऐसे में जब अरावन बड़े होते हैं तो अपने पिता से मिलने आते हैं। उस समय महाभारत का युद्ध चल रहा होता है। जिसमें अर्जुन उन्हें रणभूमि में भेज देते हैं। वहीं अरावन भी पिता की आज्ञा मानकर चले जाते हैं।
श्रीकृष्ण का अरावन से विवाह ऐसे में महाभारत के युद्ध में एक समय ऐसा आता है जब पांडवो को मां काली के चरणों में स्वैच्छिक नर बलि के लिए एक राजकुमार की जरुरत पड़ती है। जिससे कि उन्हें युद्ध में जीत हासिल हो सके। इस पर कोई आगे नहीं आता है, लेकिन तभी अरावन ने हां कर देते हैं। हालांकि इस दौरान उन्होंने एक कठिन शर्त रख दी थी। अरावन ने कहा कि वह कुवांरा नहीं मरेगा। जिससे उसकी शादी कराने की योजना तैयार होती लेकिन कोई उससे विवाह को तैयार नही था। इस पर जब कोई रास्ता नहीं दिखता है तो श्रीकृष्ण जी आगे आते हैं। वह मोहिनी का रूप रखकर अरावन से शादी करते हैं और जब अरावन की अपनी बलि दे देता है तब श्रीकृष्ण मोहिनी रूप में विलाप भी करते हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण ने पुरुष होने के बाद स्त्री रूप में अरावन से शादी की थी। जिससे किन्नर उन्हें अपना देवता मानते हैं।