Sawan 2024: सावन महीने में करें देश के 9 प्राचीन मंदिरों के दर्शन, पूरी होगी मनचाही मुराद
सावन महीने में शिव मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया जाता है। इस अवसर पर मंदिरों में बेहद खास रौनक देखने को मिलती है। इस महीने बड़ी संख्या में भक्त निकट मंदिर जाकर या तीर्थ स्थल की यात्रा कर अपने आराध्य के दर्शन करते हैं। अगर आप भी सावन महीने में बाबा के दर्शन करने की प्लानिंग (सोच) रहे हैं तो यहां बताए गए 9 प्रसिद्ध मंदिर अवश्य जाएं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Famous Temple: सावन के महीने का शिव भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस वर्ष सावन की शुरुआत 22 जुलाई से हो गई है, जिसका समापन 19 अगस्त को होगा। इस पूरे महीने भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही सुख-शांति की प्राप्ति के लिए सोमवार व्रत भी किया जाता है। अगर आप भी मनोवांछित फल पाना चाहते हैं, तो सावन के दौरान इन मंदिरों के दर्शन जरूर करें।
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1. द्वारकाधीश मंदिर, द्वारका (Dwarkadhish Temple Dwarka)
गुजरात के द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर स्थित है। यह मंदिर जगत के पालनहार भगवान विष्णु के 8वें अवतार भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। मान्यता है कि द्वापर युग में यहां कृष्ण जी का निवास स्थाल हरि गृह हुआ करता था।
2. रामनाथस्वामी मंदिर, रामेश्वरम (Ramanathaswamy Temple, Rameswaram)
रामनाथस्वामी मंदिर तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। मंदिर में भगवान राम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण की मूर्ति विराजमान है। मंदिर में दो ज्योतिर्लिंगों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि उपासना करने से जातक की सभी मुरादें पूरी होती हैं।
अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।
2.चेन्नाकेशव मंदिर, कर्नाटक (Shri Chennakeshava Swamy Temple, Karnataka)
चेन्नाकेशव मंदिर कर्नाटक के बेलूर में स्थित है। यह मंदिर 1000 वर्ष पुराना बताया जाता है। इसे राजा विष्णुवर्धन के द्वारा 1117 ई. में बनवाया गया। चेन्नाकेशव मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।4. लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर (Lingaraj Temple, Bhubaneswar)
देश के पुराने मंदिरों में लिंगराज मंदिर भी शामिल है। यह ओडिशा के भुवनेश्वर में है। लिंगराज मंदिर में आप कलिंग शैली की अद्भुत वास्तुकला देख सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि लिंगराज मंदिर की स्थापना राजवंश के राजाओं द्वारा की गई थी।5. कैलाश मंदिर (Kailasa Temple Ellora)
कैलाश मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा की गुफाओं में स्थित है। यह दो मंजिला मंदिर पर्वत की ठोस चट्टान को काटकर बनाया गया है। मंदिर के अंदर और बाहर चारों ओर मूर्ति-अलंकरणों से भरा हुआ है। मंदिर को बनाने के लिए करीब 150 वर्ष का समय लगा था।6. दुर्गा मंदिर, ऐहोल (Durga Temple Aihole)
कर्नाटक के ऐहोल में दुर्गा मंदिर है। इस मंदिर में शैव, वैष्णव, शाक्त और वैदिक देवी-देवताओं की प्रतिमा हैं। मंदिर के ऊपरी सतह पर एक दुर्ग जैसी संरचना बनाई गई है।7. बादामी गुफा मंदिर, कर्नाटक (Badami Cave Temple, Karnataka)
बादामी गुफा मंदिर कर्नाटक बागलकोट जिले में है। यह जैन गुफा मंदिर है। मंदिर वास्तुकला का शानदार उदाहरण है। मंदिर में नटराज के रूप में तांडव-नृत्य करने वाले शिव की प्रतिमा विराजमान है।8. महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple, Bodh Gaya)
महाबोधि मंदिर बोधगया में स्थित है। यह मंदिर बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पर गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। मंदिर गुप्त स्थापत्य शैली में बनाया गया है।9. मुंडेश्वरी मंदिर, बिहार (Mundeshwari Devi Temple, Bihar)
मुंडेश्वरी मंदिर पहाड़ी के शिखर पर स्थित है I मंदिर में देवी मुण्डेश्वरी की पत्थर से भव्य और प्राचीन मूर्ति विराजमान है। यहां माघ पंचमी से पूर्णिमा तक एक मेले का आयोजन होता है। इस दौरान भक्त मंदिर में दूर-दूर से आते हैं।यह भी पढ़ें: Sanwalia Seth Temple: भगवान श्रीकृष्ण को क्यों कहा जाता है सांवलिया सेठ? इस राज्य में है भव्य मंदिरअस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।