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Jagannath Rath Yatra 2024: श्री राधा रानी ने जगन्नाथ मंदिर को दिया था यह श्राप, पढ़ें इससे जुड़ीकथा

पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा बेहद उत्साह के साथ निकाली जाती है। इस यात्रा को गुंडिचा यात्रा और रथ महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 2024 में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का प्रारंभ 07 जुलाई से हो रहा है। भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में लोग जप-कीर्तन कर गुंडीचा नगर तक जाते हैं।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Published: Thu, 04 Jul 2024 02:59 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2024 02:59 PM (IST)
Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ रथ यात्रा का उत्सव 10 दिन तक चलता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा जी विराजमान हैं। हर वर्ष भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। यह यात्रा में देश-विदेश में अधिक प्रसिद्ध है। इसमें अधिक संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ मंदिर में अविवाहित जोड़ों को नहीं जाना चाहिए। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह के बारे में।

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ये है वजह

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार श्री राधा रानी ने जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने का विचार किया। जब वह  मंदिर में प्रवेश कर रही थीं, तो उनको पुजारी ने रोक दिया। इसके बाद पुजारी से इसके बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि आप श्री कृष्ण की प्रेमिका हैं और विवाहिता भी नहीं हैं। इस वजह से भगवान श्री कृष्ण की पत्नियों को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिली, तो आपको भी मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है। इस वजह से राधा रानी पुजारी की इस बात से नाराज हो गईं। इसके बाद राधा रानी ने जगन्नाथ मंदिर को श्राप दिया कि यदि जीवन में कोई अविवाहित जोड़ा एक साथ मंदिर में प्रवेश करेगा, तो उसे कभी भी प्रेमी या प्रेमिका का प्यार नहीं मिलेगा।

इस दिन से शुरू होगी भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 07 जुलाई, 2024 को सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 08 जुलाई, 2024 को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर होगा। ऐसे में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई से हो रही है।

यात्रा में होते हैं 3 रथ

यात्रा के लिए 3 रथ बनाए जाते हैं। इन रथ में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अलग-अलग रथ पर सवार होकर अपनी मौसी के घर जाते हैं। वहां कुछ दिन विश्राम करने के बाद वापस आते हैं। ऐसा बताया जाता है कि इन रथों को नेम के पेड़ की लकड़ियों की सहायता से बनाया जाता है। सबसे खास बात यह है कि इन रथ को बनाने के लिए किसी भी धातु और कील का प्रयोग नहीं किया जाता है।

मिलते हैं ये लाभ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र का रथ को खींचने से साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। रथ यात्रा में शामिल होने से इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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