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Jagannath Rath Yatra 2024: रथ यात्रा के बाद इन चीजों में होता है पहियों एवं शेष लकड़ियों का इस्तेमाल

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में अधिक संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। मान्यता है कि इस उत्सव में शामिल होने से साधक को सौ यज्ञों के समान पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान जगन्नाथ साधक के दुख-दर्द को दूर करते हैं। क्या आप जानते हैं कि भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के बाद रथों का क्या होता है। अगर नहीं पता तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तारपूर्वक।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Published: Mon, 01 Jul 2024 01:37 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2024 01:37 PM (IST)
Jagannath Rath Yatra 2024: रथ यात्रा से पहले भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jagannath Rath Yatra 2024: ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का बेहद भव्य आयोजन किया जाता है। हर साल यह यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। इस उत्सव के दौरान भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र अलग-अलग रथों पर सवार होकर अपनी मौसी के घर जाते हैं। 

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इस तरह होता है रथ की लकड़ियों का इस्तेमाल

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिए, बलभद्र के रथ में 14 पहिए और सुभद्रा के रथ में 12 पहिए होते हैं। रथों को बेहद सुंदर तरीके से बनाया जाता है। इन रथों को बनाने की प्रक्रिया अक्षय तृतीया से होती है। इन्हें नीम के पेड़ की लकड़ियों की मदद से बनाया जाता है। यात्रा के बाद रथों की लकड़ी का इस्तेमाल भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद बनाने के लिए किया जाता है। वहीं, तीनों के रथों के पहियों को भक्तों में बेच दिया जाता है।

इस दिन से शुरू हो रही है रथ यात्रा

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 07 जुलाई, 2024 को सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 08 जुलाई, 2024 को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व है। ऐसे में वर्ष 2024 में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई से हो रही है।

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व

स्कंद पुराण में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के बारे वर्णन किया गया है। इस पुराण के अनुसार, जो इंसान रथ यात्रा के दौरान को भगवान जगन्नाथ के नाम का जप-कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाता है, उसे पुनर्जन्म से छुटकारा मिलता है। साथ ही इस उत्सव में शामिल होने से व्यक्ति की सभी मुरादें पूरी होती हैं और संतान प्राप्ति में आ रही समस्याएं दूर होती हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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