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Kamakhya Devi Temple: कामाख्या देवी मंदिर में मिलता है अनोखा प्रसाद, इन 3 दिनों तक मर्दों का जाना है मना

जहां-जहां माता सती के अंग गिरे थे वह स्थान शक्तिपीठ कहलाए। असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या देवी मंदिर भी इन्हीं शक्तिपीठों में से एक है। साल में 3 दिन इस मंदिर में मर्दों का जाना मना है। आइए जानते हैं इसके पीछे क्या कारण है।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Fri, 16 Jun 2023 12:40 PM (IST)
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Kamakhya Devi Temple कामाख्या देवी मंदिर कहां है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Kamakhya Devi Temple: माता कामाख्या को समर्पित कामाख्या देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में कई ऐसी रोचक घटनाएं घटित होती हैं जो व्यक्ति को अचरज में डाल देती हैं। इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है। मूर्ति के स्थान पर यहां एक योनि-कुण्ड स्थित है। जो फूलों से ढका रहता है। इस कुंड की खासियत यह है कि इस कुंड से हमेशा पानी निकलता रहता है।

इन तीन दिनों बंद रहता है मंदिर

22 जून से 25 जून के बीच मंदिर के कपाट बंद रहते हैं, जिस दौरान ब्रह्मपुत्र नदी का जल लाल रहता है। माना जाता है कि इन दिनों माता सती रजस्वला रहती हैं। इन 3 दिनों के लिए पुरुषों को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाती। वहीं, 26 जून को सुबह भक्तों के लिए मंदिर खोला जाता है, जिसके बाद भक्त माता के दर्शन कर सकते हैं। भक्तों को यहां पर अनोखा प्रसाद मिलता है। तीन दिन देवी सती के मासिक धर्म के चलते माता के दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है। तीन दिन बाद कपड़े का रंग लाल हो जाता है, तो इसे भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है।

क्या है पौराणिक कथा

माता सती के पिता दक्ष द्वारा एक यज्ञ रखा गया, जिसमें उन्होंने जानबूझकर शिव जी को आमंत्रित नहीं किया। वहीं, शंकर जी के रोकने पर भी जिद कर सती यज्ञ में शामिल होने चली गईं जब दक्ष द्वारा भगवान शिव का अपमान किया गया तो इससे सती माता बहुत ही आहत हो गईं। और उन्होंने यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणों की आहुति दे थी।

भगवान शंकर को जब यह पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। उसके बाद भगवान शंकर ने यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और दुखी हुए इधर-उधर घूमने लगे। इस बीच भगवान विष्णु ने चक्र से सती के शरीर को काट दिया। माता सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे वह सभी स्थान 51 शक्तिपीठ कहलाए। असम के इस स्थान पर माता सती का योनि भाग गिरा था।

क्या है मान्यता

इस मंदिर में यह मान्यता प्रचलित है, कि जो भी बाहर से आये भक्तगण जीवन में तीन बार दर्शन कर लेते हैं उनको सांसारिक भवबंधन से मुक्ति मिल जाती है। यह मंदिर तंत्र विद्या के लिए भी जाना जाता है। यही वजह है कि मंदिर के कपाट खुलने पर दूर-दूर से साधु-संत और तांत्रिक भी दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'