Khatu Shyam Ji: इस तरह लगाएं बाबा खाटू श्याम के चरणों में अपनी अरदास, खुल जाएंगे सभी बंद रास्ते
भक्त अपनी अरदास लेकर खाटू धाम पहुंचते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि खाटू श्याम जी हर व्यक्ति का सहारा बनाकर उसे दुखों से उभारते हैं। असल में खाटू श्याम जी भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक हैं जिनका वर्णन महाभारत के युद्ध में मिलता है। कई मान्यताओं के अनुसार उन्हें भगवान कृष्ण का कलयुगी अवतार भी माना जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Baba Khatu Shyam: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। खाटू जी के दर्शन के लिए दूर-दराज के स्थानों से लोग यहां पहुचते हैं। बाबा खाटू श्याम जी को तीन बाण धारी, हारे का सहारा और लख्तादार आदि कई नामों से जाना जाता है। भक्त अपनी मुरादों को पूरी करने के लिए खाटू श्याम जी के दरबार में अरदास भी लगते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि बाबा के चरणों में अरदास किस तरह लगानी चाहिए, ताकि आपके सभी काम बन जाएं।
खरीदें ये सामग्री
बाबा के चरणों में अपनी अरदास लगाने के लिए आपको कुछ चीजों की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए सबसे पहले एक लाल रंग का नया पैन खरीद लें। इसके साथ ही एक सूखा नारियल और एक लाल रंग का धागा भी खरीद लें।
इस तरह लगाएं अरदास
इसके बाद अपने घर में पूजा स्थान के समक्ष बैठकर एक नए पेज पर अपनी मनोकामना लाल पैन से लिख दें। अपनी मनोकामना लिखते समय इस बात का ध्यान रखें, कि एक बार में एक ही इच्छा लिखनी है। इसके बाद पेज को मोड़ कर अपनी श्रद्धा अनुसार इसके साथ दक्षिणा भी रखें। फिर पेज के साथ-साथ दक्षिणा और पैन को नारियल के साथ लाल धागे से बांध दें। अब अपनी अरदास को बाबा खाटू श्याम के मंदिर में अर्पित कर दें।यह भी पढ़ें - Bhog Ke Niyam: भगवान को प्रसाद चढ़ाने के बाद उसका क्या करना चाहिए? यहां जानिए सारी जानकारी
कर सकते हैं ये काम
यदि किसी कारणवश आप खाटू श्याम मंदिर नहीं जा पा रहे हैं, तो इस स्थिति में अपने घर पर ही बाबा खाटू श्याम की मूर्ति या तस्वीर के सामने अपनी सरदार को चढ़ा सकते हैं। इसके बाद सच्चे मन से खाटू बाबा के सामने अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए प्रार्थना करें।WhatsApp पर हमसे जुड़ें. इस लिंक पर क्लिक करेंडिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'