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Khatu Shyam Mandir: बाबा खाटू श्याम मंदिर में भक्त क्यों लेकर जाते हैं निशान? जानें इसका रहस्य

राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर है। बाबा खाटू श्याम के दर्शन करने के लिए रोजाना अधिक संख्या में भक्त पहुंचते हैं। जो श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के लिए जाते हैं। उनमें से अधिकतर लोग अपने साथ खाटू श्याम (Khatu Shyam Mandir) का ध्वज लेकर जाते हैं जिसे निशान कहा जाता है। आइए जानते हैं श्रद्धालु बाबा श्याम को निशान क्यों अर्पित करते हैं।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Mon, 26 Feb 2024 11:15 AM (IST)
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Khatu Shyam Mandir: बाबा खाटू श्याम मंदिर में भक्त क्यों लेकर जाते हैं निशान? जानें इसका रहस्य
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Khatu Shyam Mandir: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर है। यह मंदिर देशभर में बेहद प्रसिद्ध है। यहां भगवान श्रीकृष्ण के साथ पांडव भीम के पोते और घटोत्कच्छ के पुत्र की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। रोजाना अधिक संख्या में भक्त बाबा खाटू श्याम के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। जो श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के लिए जाते हैं। उनमें से अधिकतर लोग अपने साथ खाटू श्याम का ध्वज लेकर जाते हैं, जिसे निशान कहा जाता है। आइए जानते हैं श्रद्धालु बाबा श्याम को निशान क्यों अर्पित करते हैं।

ये है वजह

हिंदू धर्म में ध्वज को विजय का प्रतीक माना गया है। खाटू श्याम जी को निशान (ध्वज) अर्पित करने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है और आज भी बाबा श्याम को निशान चढ़ाया जाता है। निशान को झंडा और ध्वज कहा जाता है। निशान को बाबा श्याम द्वारा दिया गया बलिदान और दान का प्रतीक माना गया है। क्योंकि भगवान कृष्ण के कहने पर धर्म की जीत के लिए उन्होंने अपना शीश समर्पित कर दिया था और साथ ही युद्ध की जीत का श्रेय भगवान श्री कृष्ण को दिया था।

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कैसा होता है निशान?

बाबा श्याम पर जो निशान अर्पित किया जाता है। वह केसरिया, नारंगी और लाल रंग का होता है। इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण और बाबा श्याम की फोटो और मोर पंख होते हैं। मान्यता के अनुसार, इस निशान को बाबा श्याम पर अर्पित करने से इंसान की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कुछ लोग मनोकामना पूरी होने पर निशान अर्पित करते हैं।

कौन हैं बाबा श्याम?

बर्बरीक जिन्हें आज खाटू श्याम नाम से जाना जाता है। वे शक्तिशाली पांडव भीम के पोते और घटोत्कच्छ के पुत्र हैं। महाभारत काल से बाबा श्याम का संबंध है। बर्बरीक के अंदर अपार शक्ति और क्षमता थी, जिससे प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का आशीर्वाद दिया था।

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डिसक्लेमर- ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी''।

Pic Credit-Instagram /khatu_shyam_ke_diwane__ , kalranidhi