Move to Jagran APP

Khatu Shyam Mela 2023: आज से शुरू हुआ खाटू श्याम मंदिर का वार्षिक मेला, जानें लक्खी मेले से जुड़ी सभी जानकारी

राजस्थान के बड़े मेलों में से एक खाटू श्याम मेले की शुरुआत आज से सीकर में हो चुकी है। तीन साल बाद आयोजित हो रहे इस मेले को लेकर भक्तों में भारी उत्साह है। इस मेले को लक्खी मेले के नाम से भी जाना जाता है।

By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Wed, 22 Feb 2023 01:24 PM (IST)
Hero Image
सीकर मे हुई खाटू श्याम मेले 2023 की शुरुआत

नई दिल्ली, Khatu Shyam Mela 2023: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित भगवान खाटू श्याम मंदिर में हर साल वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। होली से पहले होने वाले इस मेले को लक्खी मेला के नाम से जाना जाता है, जिसका लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस साल यह मेला 22 फरवरी यानी आज से शुरू हो चुका है। इस मेले में हर साल लाखों लोग आते हैं। यह मेला इस बार 4 मार्च तक जारी रहेगा। अगर आप भी इस साल लक्खी मेले में जाने का मन बना रहे हैं, तो चलिए जानते हैं इस मेले से जुड़ी सभी जरूरी बातों के बारे में-

तीन साल बाद मेले का आयोजन

लक्खी मेला राजस्थान के बड़े मेलों मे से एक है, जिसमें शिरकत करने देश-विदेश से कई लोग आते हैं। इस साल मेले की शुरुआत 22 फरवरी यानी बुधवार को सुबह 7ः30 बजे भगवान खाटू श्याम की आरती के साथ हुई। मेले के दौरान अगले 10 दिन तक मंदिर 24 घंटे के लिए खुला रहेगा। बीते वर्षों कोरोना की वजह से इस मेले का आयोजन नहीं हो पाया था। लेकिन अब तीन साल बाद इसका आयोजन किया जा रहा है।

इन बातों का रखएं ध्यान

  • तीन साल बाद आयोजित हो रहे इस मेले में इस साल कई सारे बदलाव किए गए हैं। साथ ही इस मेले को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। अगर आप भी इस मेले में शामिल होने जा रहे हैं, तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें।
  • इस बार मेले में शामिल होने वाले भक्तों को बाबा के निशान यानी झंडे को मंदिर तक ले जाने की अनुमति नहीं होगी। सभी निशान यानी झंडे एकत्रित करने की लखदातार मैदान के पास ही इंतजाम किया गया है।
  • मेले में आने वाले भक्तों को इस बार लाइन में खड़े रहने पर पानी वहीं उपलब्ध कराया जाएगा। ऐसे में उन्हें कतार से बाहर निकलने की जरूरत नहीं होगी। साथ ही माइक के जरिए भक्तों में मेले की व्यवस्थाओं की जानकारी दी जाती रहेगी।
  • अगर कोई भक्त मेले में भंडारा लगाना चाहता है, तो इसके लिए प्रशासन से अनुमित लेना बेहद जरूरी है। इसके अलावा मेले के दौरान अन्य कार्यक्रमों जैसे भजन, जागरण आदि के लिए भी मजिस्ट्रेट की तरफ से जारी निर्देशों की पालन करना अनिवार्य होगा।
  • बाबा के दरबार तक पहुंचने के लिए भक्तों को मुख्य मेला मैदान से 75 फीट लंबी 14 लाइनों से गुजरना होगा। साथ ही मंदिर के अंदर 16 नई लाइनों की व्यवस्था भी गई है।
  • साथ ही निकासी के लिए भी 8 अलग मार्ग तैयार किए गए हैं, ताकि गर्भग्रह में भीड़ होने से रोका जा सकें। इसके अलावा मेले से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी के लिए भक्त मंदिर चौक के बाहर पूछताछ केंद्र से संपर्क कर सकते हैं।

कौन थे बाबा खाटू श्याम जी

घटोत्कच पांडवों में से एक पराक्रमी भीम के बेटे थे। उनका असली नाम बर्बरीक था। महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक ने यह फैसला किया था कि वह कमजोर पक्ष की तरफ से युद्ध करेंगे। उनके इस फैसले के बारे जब भगवान श्रीकृष्ण को पता चला, तो उन्होंने सोचा कि अगर बर्बरीक ने कौरवों का साथ दिया, तो पांडवों की हार हो जाएगी। ऐसे में उन्होंने ब्रह्माण का रूप धारण कर बर्बरीक से उनका सिर दान में मांग लिया। इस पर बर्बरीक ने भी खुशी-खुशी ब्रह्माण के रूप में श्रीकृष्ण को अपने सिर दान कर दिया। इसे बाद श्रीकृष्ण ने बर्बरीक वरदान दिया कि कलयुग में उनके नाम से बर्बरीक को पूजा जाएगा। यही वजह है कि बर्बरीक को वर्तमान में खाटू श्याम के नाम से पूजा जाता है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।