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Khatu Shyam Mela 2024: खाटू श्याम मेला जाने का बना रहे हैं मन, तो जरूर ध्यान रखें ये बातें

खाटू श्याम जी को हारे का सहारा भी कहा जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि खाटू श्याम जी हारे हुए व्यक्ति की सहायता करते हैं। फाल्गुन माह में खाटू श्याम मंदिर में खाटू श्याम मेले का आयोजन होता है जिसे लक्खी मेले के नाम से जाना जाता है। यदि आप भी इस मेले में जाने का विचार बना रहे हैं तो इससे पहले कुछ बातें जरूर जान लें।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sat, 02 Mar 2024 05:27 PM (IST)
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Khatu Shyam Mela खाटू श्याम मेले से जुड़ी जरूरी बातें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lakkhi mela 2024: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम जी का मंदिर भारत के मुख्य तीर्थ स्थलों में शामिल है। असल में खाटू श्याम जी घटोत्कच के पुत्र और भीम के पोते, बर्बरीक हैं। इस मंदिर में खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। कई मान्यताओं के अनुसार, खाटू श्याम जी को भगवान कृष्ण का कलयुगी अवतार माना जाता है। जल्द ही इस मंदिर में खाटू श्याम मेला लगने जा रहा है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।

क्या है मान्यता

फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए विशेष माना गया है। इस साल फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी 20 मार्च को पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर बर्बरीक ने भगवान श्रीकृष्ण को अपना शीश दान किया था। तब उन्हें कृष्ण जी ने आशीर्वाद दिया और बर्बरीक को खाटू श्याम जी के नाम से जाना जाने लगा।  

इस दिन से लगेगा मेला

फाल्गुन महीने में 12 मार्च 2024 को लक्खी मेले का आयोजन होगा, जिसका समापन 21 मार्च 2024 को होगा। इस मेले में देश के कोने-कोने से लाखों भक्त शामिल होने आते हैं। फाल्गुन महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को इस मेले का मुख्य माना जाता है। इस मेले के दौरान श्याम बाबा के दरबार के मंडप में राम दरबार की झांकियां सजाई जाएंगी। इसके अलावा मंदिर के गर्भगृह को भी विशेष रूप से सजाया जाएगा। इस दौरान भक्त खाटू श्याम जी के अद्भुत शृंगार का भी दर्शन कर सकेंगे।

यहां जाने जरूरी नियम

अगर आप भी बाबा श्याम के लक्खी मेले में शामिल होने आ रहे हैं, तो इसके लिए कुछ नियमों को जरूर ध्यान रखें। जो लोग निशान उठाते हैं उन्हें रिंग्स के रास्ते से होते हुए बाबा श्याम की पैदल करनी पड़ती है। बाबा श्याम को सुजानगढ़ का निशान चढ़ाने के बाद मेले का समापन माना जाता है। साथ इस बात का भी ध्यान रखें की 08 फीट से ऊंचा निशान ले जाने की अनुमति नहीं है। वहीं, मेले के दौरान श्याम कुंड पूर्ण रूप से बंद रहेगा।

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