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ज्ञान के लिए हनुमान जी ने की थी शादी तेलंगाना के इस मंदिर में पत्‍नी सुवर्चला सहित होती है पूजा

हम में से अधिकांश लोगों का मानना है कि हनुमान जी सदा ब्रह्मचारी ही रहे हैं परंतु तेलंगाना में एक मंदिर है जहां हनुमान जी की पत्‍नी सहित पूजा होती है। आखिर क्या है उनके विवाह का रहस्य।

By Molly SethEdited By: Updated: Tue, 18 Dec 2018 10:19 AM (IST)
ज्ञान के लिए हनुमान जी ने की थी शादी तेलंगाना के इस मंदिर में पत्‍नी सुवर्चला सहित होती है पूजा
तेलंगाना में है बजरंग बली की पत्नी का मंदिर 

तेलंगाना के खम्‍मम जिले में हनुमान जी और उनकी पत्‍नी सुर्वचला की पूजा होती है। यहां पर बना यह पुराना मंदिर सालों से लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है। स्‍थानीय लोग ज्‍येष्‍ठ शुद्ध दशमी को हनुमान जी का विवाह उत्सव मनाते हैं। हालांकि उत्‍तर भारत में रहने वाले लोगों के लिए यह किसी आश्‍चर्य से कम नहीं है। क्‍योंकि हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी माना जाता है। आइए जानते हैं क्‍या है उनकी शादी का राज।

ज्ञान प्राप्ति के लिए की शादी

भगवान हनुमान सूर्य देवता को अपना गुरु मानते थे। सूर्य देव के पास 9 दिव्य विद्याएं थीं। इन सभी विद्याओं का ज्ञान बजरंग बली प्राप्त करना चाहते थे। सूर्य देव ने इन 9 में से 5 विद्याओं का ज्ञान तो हनुमानजी को दे दिया, लेकिन शेष 4 विद्याओं के लिए सूर्य के समक्ष एक संकट खड़ा हो गया, क्योंकि  4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान सिर्फ उन्हीं शिष्यों को दिया जा सकता था जो विवाहित हों। हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी थे, इस कारण सूर्य देव उन्हें शेष चार विद्याओं का ज्ञान देने में असमर्थ हो गए। इस समस्या के निराकरण के लिए सूर्य देव ने हनुमानजी से विवाह करने की बात कही। पहले तो हनुमानजी विवाह के लिए राजी नहीं हुए, लेकिन उन्हें शेष 4 विद्याओं का ज्ञान पाना ही था। इस कारण हनुमानजी ने विवाह के लिए हां कर दी।

शादी के बावजूद भी रहे ब्रह्मचारी

हनुमान जी की रजामंदी मिलने के बाद सूर्य देव के तेज से एक कन्‍या का जन्‍म हुआ। इसका नाम सुर्वचला था। सूर्य देव ने हनुमान जी को सुवर्चला से शादी करने को कहा। सूर्य देव ने यह भी बताया कि सुवर्चला से विवाह के बाद भी तुम सदैव बाल ब्रह्मचारी ही रहोगे, क्योंकि विवाह के बाद सुवर्चला पुन: तपस्या में लीन हो जाएगी। हिंदु मान्‍यताओं की मानें, तो सुवर्चला किसी गर्भ से नहीं जन्‍मी थी, ऐसे में उससे शादी करने के बाद भी हनुमान जी के ब्रह्मचर्य में कोई बाधा नहीं पड़ी, और बजरंग बली हमेशा ब्रह्मचारी ही कहलाए।