Lakhi Mela 2024: हर साल क्यों लगता है खाटू श्याम लक्खी मेला? जानें इसके पीछे की वजह
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित बाबा खाटू श्याम जी का मंदिर देश के मुख्य तीर्थ स्थलों में शामिल है। रोजाना अधिक संख्या में देश-दुनिया से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर बाबा के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। बाबा श्याम के जन्मदिन के अवसर पर एक बार बड़े मेले का आयोजन किया जाता है जिसको खाटू श्याम लक्खी मेला के नाम से जाना जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Khatu Shyam Lakhi Mela 2024: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर है। यह मंदिर देशभर में बेहद प्रसिद्ध है। रोजाना अधिक संख्या में देश-दुनिया से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर बाबा के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। बाबा श्याम के जन्मदिन के अवसर पर एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है, जिसको खाटू श्याम लक्खी मेला के नाम से जाना जाता है। इस बार फाल्गुन महीने में 12 मार्च 2024 को लक्खी मेला शुरू होगा, जिसमे शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
क्यों लगता है लक्खी मेला
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब बर्बरीक से भगवान श्री कृष्ण ने शीश मांगा था, तो बर्बरीक ने पूरी रात्रि भजन किया और फाल्गुन माह के शुक्ल द्वादशी को स्नान कर सच्चे मन से पूजा की। इसके बाद बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण को अपना शीश काटकर दे दिया। मान्यता है कि इसी वजह से हर साल लक्खी मेला लगता है।
ये है मान्यतामान्यता है कि यदि कोई साधक फाल्गुन माह में बाबा खाटू श्याम के दर्शन और माथा टेकने आता है, तो बाबा शयाम प्रसन्न होकर उस भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। एक विशेष बात आपको बता दें कि लक्खी मेला के दौरान श्याम नगरी पूरी तरह से बाबा श्याम के रंग में रंगी होती है।
कब लगेगा मेलाइस साल फाल्गुन माह में 12 मार्च 2024 को लक्खी मेले का आयोजन होगा और इसका समापन होली से पहले यानी 21 मार्च 2024 को होगा। इस मेले में शामिल होने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। फाल्गुन महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को इस मेले का मुख्य माना जाता है।
कौन हैं बाबा श्याम?बर्बरीक जिन्हें खाटू श्याम नाम से जाना जाता है। वे शक्तिशाली पांडव भीम के पोते और घटोत्कच्छ के पुत्र हैं। महाभारत काल से बाबा श्याम का संबंध है। बर्बरीक के अंदर अपार शक्ति और क्षमता थी, जिससे प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का आशीर्वाद दिया था।
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