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Maa Chang Devi Mandir: कौन हैं चांग देवी, हिंदू-मुस्लिम दोनों टेकते हैं मंदिर में माथा

भारत के कोने-कोने में ऐसे कई धार्मिक स्थल मौजूद हैं जिनके प्रति लोगों की अटूट आस्था है। आज हम आपको राजस्थान के भरतपुर में स्थित एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। इस मंदिर में बारहों महीने श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। भक्त यहां अपनी मन्नत लेकर पहुंचते हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 30 Jul 2024 02:24 PM (IST)
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Maa Chang Devi Mandir कौन हैं चांग देवी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, उसकी खास बात यह है कि इस मंदिर के दरबार पर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लोग श्रद्धापूर्वक माथा टेकने आते हैं। जंगलों के बीच राजस्थान के भरतपुर के भगवानपुर गांव में शक्ति स्वरूपा मां चांग देवी विराजमान हैं। चलिए जानते हैं इस अद्भुत मंदिर के बारे में।

कैसे पड़ा नाम

चांगभखार रियासत की कुलदेवी होने के कारण इस मंदिर को चांग देवी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। ऐसा माना जाता है कि चांग देवी चांगभखार रियासत के राजा बालंद को चांग देवी का वरदान मिला हुआ था, जिस कारण चौहान वंश के राजा उन्हें युद्ध में हरा नहीं सके। लेकिन अन्य बालंद राजा चौहानों से हार चुके थे। उनकी यह दुर्दशा को देखकर राजा बालंद ने अपने पराजित न होने का राज चौहान वंश के राजा को बता दिया।

साथ ही यह भी बताया कि किसी भी युद्ध में उनकी मृत्यु नहीं हो सकती और अगर उन्हें पराजित करना है, तो लकड़ी की तलवार का इस्तेमाल करना होगा। यह जानने के बाद चौहान राजाओं ने लकड़ी की तलवार से हमला कर बालंद राजा को पराजित कर दिया। वह लकड़ी की तलवार आज भी भरतपुर विकासखंड के खोहरा नामक एक जगह पर मौजूद है। इस क्षेत्र में कभी बालंद राजाओं का शासन हुआ करता था।

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क्या है खासियत

यह मंदिर हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों के लिए पूजनीय है, इसलिए यह स्थान एकता की मिसाल भी है। मुस्लिम धर्म के अनुयायियों का मानना है कि माता चांद देवी हमारे ही इलाके की कुलदेवी हैं, इसलिए इलाके के मुसलमान लोग भी इस मंदिर में श्रद्धापूर्वक माथा टेकते हैं। यह एक सिद्ध पीठ है, इसलिए शारदीय और चैत्र नवरात्र में श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बनती है।

न केवल आसपास के इलाके से बल्कि,  नवरात्रि के पावन अवसर पर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तक से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। कई सालों से माता के दरबार में अखंड ज्योति भी प्रज्वलित हो रही है। भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए देवी की प्रतिमा के समक्ष ज्योत जलाते हैं। देवी मंदिर के पास ही जवारा कक्ष है, जहां नवरात्र के विशेष अवसर पर जवारे बोए जाते हैं।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।