Maa Shakhambari Shaktipeeth: कहां है माता शाकम्भरी का दूसरा शक्तिपीठ, जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा
Maa Shakhambari Second Shaktipeeth मां शाकम्भरी का दूसरा शक्तिपीठ राजस्थान में ही सांभर जिले के पास स्थित है। यह शाकम्भर के नाम से स्थित है। शाकम्भरी माता को सांभर की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है। आइए जानते हैं इस शक्तिपीठ के बारे में।
By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Thu, 28 Jan 2021 10:30 AM (IST)
Maa Shakhambari Second Shaktipeeth: मां शाकम्भरी का दूसरा शक्तिपीठ राजस्थान में ही सांभर जिले के पास स्थित है। यह शाकम्भर के नाम से स्थित है। शाकम्भरी माता को सांभर की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है। इसके अलावा यहां की सांभर झील को भी शाकम्भरी देवी के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं इस शक्तिपीठ के बारे में।
महाभारत के अनुसार, यह क्षेत्र असुर राज वृषपर्व के साम्राज्य का एक भाग था। यहां शुक्राचार्य जो असुरों के कुलगुरु कहे जाते हैं, निवास करते थे। यही वो जगह थी जहां पर शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी का विवाह नरेश ययाति के साथ हुआ था। इनकी पुत्री यानी देवयानी को समर्पित एक मंदिर स्थित है। यह झील के पास है। यहीं पर शाकम्भरी देवी को समर्पित एक मंदिर मौजूद है। मान्यता है कि यहां पर देवी की प्रतिमा अपने आप यानी स्वत: ही प्रकट हुई थी।अन्य कथाओं के अनुसार, शाकम्भरी देवी चौहान राजपूतों की रक्षक देवी मानी जाती हैं। वन-संपदा को लेकर जब सांभर प्रदेश के लोग परेशान हो गए थे तब शाकम्भरी माता ने यहां स्थित वन को बहुमूल्य धातुओं के एक मैदान में परिवर्तित कर दिया। लेकिन इस वरदान को श्राप समझा जाने लगा। तब लोगों ने इस वरदान को वापस लेने की प्रार्थना की। मान्यता है कि इसके बाद देवी ने सभी धातुओं को नमक में बदल दिया था। यहां शाकम्भरी देवी के मंदिर के अलावा पौराणिक राजा ययाति की दोनों रानियों देवयानी और शर्मिष्ठा के नाम पर एक विशाल सरोवर एवं कुंड भी विद्यमान है। ये प्रमुख तीर्थस्थलों में बेहद प्रसिद्ध हैं।
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