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Maa Sharda Dham: चमत्कारों से भरा है मां शारदा का यह मंदिर, ऐसे करें इस पवित्र धाम की यात्रा

देवी शारदा का यह धाम (Maihar Devi Temple) लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। सनातन परंपरा में मां शारदा को विद्या और बुद्धि की अधिष्ठात्री माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जो साधक देवी की पूजा भाव और समर्पण के साथ करते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही उनका जीवन खुशियों से भरा रहता है।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sun, 25 Feb 2024 03:20 PM (IST)
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Maa Sharda Dham: इस तरह होंगे मां शारदा के दर्शन

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Maa Sharda Dham: भारत अपनी आस्था और संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहां कई ऐसे चमत्कारी मंदिर हैं, जहां लोग दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। उन्हीं में से एक मां शारदा का भी मंदिर है, जो मध्य प्रदेश के मैहर में त्रिकूट पर्वत की ऊंची चोटी पर स्थित है।

अगर आप इस पवित्र धाम जाने की योजना बना रहे हैं, तो यहां दी हुई गाइडलाइन को जरूर पढ़ें, जिससे आपकी यात्रा मंगलमय हो, तो आइए जानते हैं -

मां शारदा के दर्शन का समय

  • प्रात: - 05 बजकर 30 मिनट से दोपहर 12 बजे तक।
  • दोपहर - 02 बजे से शाम 07 बजकर 30 मिनट तक।

इस तरह होंगे मां शारदा के दर्शन

माता शारदा का दर्शन करने के लिए वृद्धजनों और दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर की सुविधा उपलब्ध है, जिससे वो आसानी से मां के दर्शन कर सकें। वहीं जो लोग स्वस्थ्य हैं वे 1001 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं। इसके साथ ही जिन लोगों को सीढियां चढ़ने में परेशानी होती है या फिर कोई स्वस्थ्य से जुड़ी दिक्कत है, तो वे रोप-वे का इस्तेमाल कर सकते हैं।

यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

मैहर से करीब 135 किमी. की दूरी पर एयरपोर्ट खाजुराहो है, जो कुछ ही महत्वपूर्ण हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है। वहीं अन्य जगहों से आने वाले भक्तों को जबलपुर एयरपोर्ट से फ्लाइट पकड़नी पड़ेगी, जो मैहर से करीब 165 किमी. की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा आप जबलपुर से ट्रेन की सुविधा भी ले सकते हैं। यहीं नहीं मध्य प्रदेश में मैहर की यात्रा के लिए कई शहरों में बस की भी सुविधा उप्लब्ध है, जिसका उपयोग आप कर सकते हैं।

मां शारदा की पूजा का धार्मिक महत्व

देवी शारदा का यह धाम लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। सनातन परंपरा में मां शारदा को विद्या और बुद्धि की अधिष्ठात्री माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जो साधक देवी की पूजा भाव और समर्पण के साथ करते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही उनका जीवन खुशियों से भरा रहता है।

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'