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Mahashivratri 2023 special: जब मनुष्य और देवताओं की रक्षा के लिए प्रकट हुए भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

Mahashivratri 2023 महाशिवरात्रि पर द्वादश ज्योतिर्लिंग का स्मरण करने से साधक को बहुत लाभ मिलता है। आज हम बात करेंगे भगवान शिव के छठे और महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर की जिनके उत्पन्न होने की कथा बहुत ही अनोखी है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sun, 12 Feb 2023 05:10 PM (IST)
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Mahashivratri 2023: पढ़िए भीमशंकर ज्योतिर्लिंग की रोचक कथा।

नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Mahashivratri 2023, Bhimashankar Jyotirlinga Katha: देशभर में 18 फरवरी 2023, शनिवार के दिन महाशिवरात्रि पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाएगी। शास्त्रों में बताया गया है कि महाशिवरात्रि के दिन द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। यह सभी 12 ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थापित हैं। मान्यता है कि इन सभी ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के सभी पाप दूर हो जाते हैं और साधक की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। आज हम बात करेंगे भगवान शिव के छठे और महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की, जो महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर सह्याद्रि पर्वत पर स्थापित हैं। आइए जानते हैं इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग ऐसे हुए थे प्रकट

शिव पुराण के अनुसार जब भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त की थी, तब उन्होंने लंकापति रावण के साथ-साथ उसके छोटे भाई कुंभकरण का भी वध किया था। कुंभकरण के वध बाद उसके पुत्र भीमा का जन्म हुआ था। इसलिए बाल्यावस्था में भीमा को अपने पिता की हत्या का कोई ज्ञान नहीं था। जैसे-जैसे समय बीता, भीमा को श्री राम और रावण के बीच में हुए युद्ध के विषय में पता चला और यह ज्ञान हुआ कि श्रीराम ने उसके पिता का वध किया था। इतना पता चलते ही उसने श्रीराम की हत्या प्रण लिया और अपने उद्देश्य को सफल बनाने के लिए और ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए वर्षों तक कठोर तपस्या की।

भीमा की तपस्या को देखकर ब्रह्माजी प्रसन्न हुए और उसे सदा विजय होने का वरदान दिया। वरदान प्राप्त करने के बाद भीमा ने सृष्टि में हाहाकार मचा दिया, जिससे ना केवल मनुष्य बल्कि देवी-देवता भी डरने लगे। दैत्य और देवताओं के बीच हुए युद्ध में भीमा जीतने लगा और दिन-ब-दिन उसका प्रकोप बढ़ने लगा। इससे परेशान होकर सभी देवता गण भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे भीमा के प्रकोप से बचाने की प्रार्थना करने लगे। भगवान शिव ने सभी को यह वचन दिया कि वह इस समस्या का हल अवश्य निकालेंगे। इसके बाद शिव जी ने भीमा से युद्ध करने का निर्णय लिया और युद्ध में भीमा को परास्त कर दियाल। भीमा पर विजय प्राप्त करने के बाद सभी देवताओं ने भगवान शिव से इसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित होने की प्रार्थना की और शिव जी ने उनकी प्रार्थना सुनकर यहीं स्थापित हो गए। जिसे आज हम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।