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Mahashivratri 2024: शिव नवरात्रि आज से शुरू, दूल्हे की तरह सजेंगे महाकाल, नौ दिनों तक होगा अद्भुत शृंगार

उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां पर शिवरात्रि का पर्व नौ दिन तक चलता है जिसे शिवनवरात्रि के रूप में जाना जाता है। इसकी शुरुआत 29 फरवरी से हो चुकी है। इस दौरान महाकाल जी का 9 दिनों तक दूल्हे के रूप में शृंगार किया जाता है। ऐसे में यह जानते हैं कि शिव नवरात्रि में किस दिन कौन-सा श्रृंगार किया जाएगा।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 29 Feb 2024 03:58 PM (IST)
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Shiv Navratri Ujjain आज से दूल्हे की तरह सजेंगे महाकालेश्वर

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shiv Navratri Ujjain: हर साल फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि मनाई जाती है। यह एक ऐसा दिन है, जिसका शिव भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है। इस तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साल 2024 में  08 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिवरात्रि का पर्व बड़े ही अलग ढंग से मनाया जाता है, आइए जानते हैं इसके बारे में।

महाकाल शृंगार का महत्व

ऐसा माना गया है कि जो व्यक्ति बाबा महाकाल के इस दूल्हा स्वरूप का नौ दिनों तक लगातार दर्शन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शिवनवरात्रि के प्रथम दिन यानि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से इस पर्व की शुरुआत होती है। इस दिन भगवान कोटेश्वर की पूजा की जाती है और उनका अभिषेक किया जाता है।

इस शुभ दिन पर मंदिर समिति द्वारा 11 ब्राह्मणों को सोला और वरुणी दी जाती है। उसके बाद महाकालेश्वर का पूजन आरंभ किया जाता है। इसके बाद महाकालेश्वर जी को भोग लगाया जाता है और दोपहर के 3 बजे के बाद महाकालेश्वर का संध्या पूजन के बाद श्रृंगार किया जाता है। इस दौरान महाकाल जी को आभूषण, नए वस्त्र धारण करवाए जाते हैं।

खास है दूसरा दिन

शिव नवरात्रि के दूसरे दिन अभिषेक पूजन होता है और उसी के बाद बाबा महाकाल को वस्त्र पहनाएं जाते हैं। शेषनाग शृंगार में बाबा महाकाल के ऊपर शेषनाग का मुकुट चढ़ाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जिस शेषनाग को भगवान शिव अपने गले में धारण किए हुए हैं, उन्होंने पृथ्वी का वजन अपने सर पर धारण किया हुआ है।

अंतिम दिन पर ऐसा होता है शृंगार

शिव नवरात्रि के सातवें दिन भगवान शिव, माता पार्वती के साथ दिखाई देते हैं। इसलिए इसे उमा महेश शृंगार भी कहा जाता है। वहीं, शिव नवरात्रि के अंतिम दिन यानी महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान महाकाल अपने भक्तों को दूल्हे के रूप में दर्शन देते हैं। इस स्वरूप को सेहरा दर्शन भी कहा जाता है।

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