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Mehandipur Balaji Mandir: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का प्रसाद घर पर क्यों नहीं लाते? जानें इसका रहस्य

Mehandipur Balaji Mandir बजरंगबली को समर्पित मंदिर राजस्थान के सिकराय में है। इस मंदिर को मेहंदीपुर बालाजी के नाम से जाना जाता है। मंदिर में अधिक संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। मंदिर का प्रसाद खाने के अलावा घर भी नहीं लाना चाहिए। इससे नकारात्मक शक्तियां उस इंसान पर हावी हो जाती हैं। चलिए जानते हैं इसके पीछे की वजह।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 22 Apr 2024 03:21 PM (IST)
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Mehandipur Balaji Mandir: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का प्रसाद घर पर क्यों नहीं लाते? जानें इसका रहस्य
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mehndipur Balaji Mandir: देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जो अपने रहस्य के लिए विश्व भर में बेहद प्रसिद्ध हैं। इसके साथ ही भारत में ऐसे भी कई में मंदिर भी हैं, जो मशहूर होने के साथ-साथ बहुत प्राचीन भी हैं। ऐसा ही एक मंदिर बजरंगबली को समर्पित राजस्थान के सिकराय में है। इस मंदिर को मेहंदीपुर बालाजी के नाम से जाना जाता है। मंदिर में अधिक संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। धार्मिक मान्यता है कि मंदिर में मेहंदीपुर बालाजी जी के दर्शन करने से साधक की मनचाही मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां प्रसाद अर्पित करने के बाद उसे खाने के अलावा घर लाने की भी मनाही है। ऐसा माना जाता है कि अगर मंदिर का प्रसाद का सेवन करने या घर लाने से नकारात्मक शक्तियां उस इंसान पर हावी हो जाती हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य क्या है।

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इसलिए नहीं लाया जाता प्रसाद

ऐसा माना जाता है कि मेहंदीपुर बालाजी जी मंदिर में पूजा और दर्शन करने से भूत-प्रेत आदि बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इस मंदिर से खाने-पीने की चीज और प्रसाद को घर नहीं लाना चाहिए। इससे इंसान पर ऊपरी साया आ जाता है।

प्रेत आत्मा से मिलती है मुक्ति

मेहंदीपुर बालाजी जी मंदिर में हनुमान जी के बालाजी स्वरूप पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से इंसान को प्रेत आत्मा से मुक्ति मिलती है। मंदिर दो पहाड़ियों के बीच स्थित है। मंदिर में बालाजी महाराज और भैरव बाबा विराजमान हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

अगर आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो ऐसे में आपको मंदिर जाने से करीब एक हफ्ते पहले लहसुन, नॉनवेज और शराब आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए। तभी बजरंगबली प्रसन्न होंगे। साथ ही मंदिर में आरती के दौरान पीछे मुड़कर या इधर-उधर नहीं देखना चाहिए। मंदिर में दर्शन करने के बाद भगवान श्रीराम और मां सीता के दर्शन अवश्य करें।

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'