Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Nag Panchami 2023: साल में बस एक दिन खुलते हैं नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट, जानें कब कर सकेंगे दर्शन

Nag Panchami 2023 21 अगस्त को देशभर में नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे में नाग देवता की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती हैं। नाग पंचमी के इस शुभ अवसर पर उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस मंदिर के विषय में।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Fri, 18 Aug 2023 04:18 PM (IST)
Hero Image
Nag Panchami 2023 साल में बस एक दिन खुलते हैं नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Nag Panchami 2023: वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल श्रावण मास के कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नाग पंचमी पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष के सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी 21 अगस्त को मनाई जाएगी। ऐसे में नाग देवता की पूजा करने से साधक के सभी कष्ट दूर होते हैं। इस शुभ अवसर पर वर्ष में केवल एक दिन खुलने वाले नागचंद्रेश्वर मंदिर में नाग देवता के दर्शनों से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। 

मंदिर के खुलने का समय

उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का, जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी ( श्रावण शुक्ल पंचमी) पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है। इस वर्ष नाग पंचमी के अवसर पर 20 अगस्त की रात 12 बजे मंदिर के शीर्ष पर स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट खुलेंगे। मंदिर में दर्शन का सिलसिला 24 घंटों तक चलता रहेगा। भक्तगण 21 अगस्त की मध्यरात्रि 12 बजे तक इस मंदिर के दर्शन कर सकेंगे।

क्या है मंदिर की खासियत

ऐसी मान्यता है कि नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। कहते हैं यह प्रतिमा पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा का विधान है।

पहली पूजा 20 अगस्त की रात 12 बजे मंदिर के पट खुलने पर की जाएगी। दूसरी पूजा 21 अगस्त को दोपहर 12 बजे शासन की ओर से की जाएगी और तीसरी पूजा 21 अगस्त की शाम भगवान महाकाल की संध्या आरती संपन्न होने के बाद महाकाल के पुजारी व मंदिर के अधिकारियों द्वारा की जाएगी।

नाग पंचमी का महत्व

शिव भगवान आभूषण की तरह गले में नाग को धारण करते हैं। नाग पंचमी पर जीवन में सुख-समृद्धि, खेतों में फसलों की रक्षा के लिए नाग देवता की पूजा की जाती है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करके उन्हें दूध पिलाने का विशेष महत्व है। ऐसा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। 

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'