Nageshwar Jyotirlinga: कैसे हुई नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना? अर्पित किए जाते हैं धातु से बने नाग-नागिन
ऐसी मान्यता है कि सावन में भगवान शिव माता पार्वती संग पृथ्वी लोक पर आते हैं। सावन के महीने में वातावरण शिवमय हो जाता है। इस दौरान मंदिरों में बेहद खास रौनक देखने को मिलती है। मान्यता है कि नागेश्वर मंदिर में धातु के नाग-नागिन चढ़ाने से नाग दोष से मुक्ति मिलती है। चलिए जानते हैं नागेश्वर मंदिर (Nageshwar Jyotirlinga)से जुड़ी जानकारी के बारे में।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Nageshwar Jyotirlinga History: सनातन धर्म में सावन के महीने को बेहद खास माना जाता है। इस पूरे महीने में विधिपूर्वक से शिव परिवार की पूजा-अर्चना की जाती है और महादेव का अभिषेक किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सावन में जलाभिषेक करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से मनचाही मुराद पूरी होती है। इसके अलावा शिव मंदिरों को बेहद सुंदर तरीके से सजाया जाता है। साथ ही भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि देश में भगवान शिव को समर्पित एक ऐसा भी मंदिर है, जहां महादेव के दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। आइए, इस मंदिर के बारे में जानते हैं-
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा (Nageshwar Jyotirlinga Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में दारूका नाम की एक राक्षस कन्या थी। उसने तपस्या के द्वारा माता पार्वती को प्रसन्न वरदान प्राप्त किया था। दारुका ने कहा कि मैं वन नहीं जा सकती हूं। वहां पर कई तरह की दैवीय औषधियां हैं। सत्कर्म के लिए हम राक्षसों को उस वन में जाने की अनुमति दें। माता पार्वती ने यह वरदान दे दिया। इसके बाद दारूका ने वन में बहुत उत्पात मचाया और वन को देवी-देवताओं से छीन लिया। साथ ही सुप्रिया को बंदी बना लिया। वह शिवभक्त थीं।ऐसी स्थिति में सुप्रिया ने भगवान शिव की तपस्या शुरू की और प्रभु से खुद के बचाव के लिए वरदान मांगा। महादेव उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उनके साथ ही चार दरवाजों का एक बेहद सुंदर मंदिर प्रकट हुआ। मंदिर के बीच में ज्योतिर्लिंग प्रकाशित हुआ। सुप्रिया ने सच्चे मन से महादेव की पूजा-अर्चना की और शिव जी वरदान में राक्षसों का नाश मांग लिया। इसके अलावा महादेव से इसी जगह पर स्थित होने के लिए कहा। शिव जी ने इस बात को स्वीकार कर उसी स्थल पर विराजमान हो गए। इसी तरह यह ज्योतिर्लिंग स्वरूप भगवान शिव ‘नागेश्वर’ कहलाए।