Nidhivan: आज भी यहां रास रचाने आते हैं राधा-कृष्ण, रात में यहीं करते हैं विश्राम
वृंदावन जिसे भगवान कृष्ण की धरती भी कहा जाता है अपने आप में यह धाम बहुत ही सुंदर और अद्भुत है। माना जाता है कि इस स्थान के रोम-रोम में राधा रानी और भगवान कृष्ण बसते हैं। निधिवन के जंगल में मौजूद पेड़ जोड़े में और मुड़े हुए दिखाई देते हैं जिसके पीछे एक बड़ी ही खास वजह पाई जाती है। चलिए जानते हैं उसके बारे में।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Nidhivan in Vrindavan: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृन्दावन में स्थित निधिवन को एक बहुत ही पवित्र वन माना जाता है। इसका संबंध पूर्ण रूप से भगवान कृष्ण और राधा रानी से माना गया है। इसे तुलसी के जंगल के रूप में भी जाना जाता है। यह वन कई किंवदंतियों से घिरा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर आज भी बांके बिहारी, राधा रानी और सखियों संग रास रचाने आते हैं।
क्या है मान्यताएं
मान्यता है कि निधिवन में हर रात भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी रासलीला करते हैं। इस दौरान आसपास के सभी पेड़ गोपियों में बदल जाते हैं और रास में भाग लेते हैं। इस दौरान किसी भी व्यक्ति को यहां आने की अनुमति नहीं होती। यहां तक कहा जाता है कि निधिवन में रहने वाले पक्षी भी शाम होते ही इस वन को छोड़कर चले जाते हैं। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति कृष्ण और राधा के इस मिलन को देख लेता है, तो वह पागल हो सकता है या फिर उसकी आंखों की रोशनी जा सकती है।
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यहां करते हैं विश्राम
निधिवन में रंग महल भी स्थित है, जिसे लेकर यह मान्यता प्रचलित है कि भगवान श्री कृष्ण रासलीला करने के बाद वहीं विश्राम करते हैं और मंदिर के पट खुलने से पहले चले जाते हैं। शाम सूर्यास्त के बाद, इस मंदिर की गर्भ गुफा में भगवान के लिए भोग, पानी, पान का बीड़ा, गहने, कपड़े और नीम की दातुन के साथ एक बिस्तर बिछाया जाता है। इसके बाद मंदिर पर 7 तालें भी लगाए जाते हैं। जब सुबह मंदिर के पट खोले जाते हैं, तो सारा सामान बिखरा हुआ मिलता है अर्थात बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली और दातुन इस्तेमाल की हुई मिलती है।अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।